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Monday 17 April 2017

मरने के बाद भी इस सैनिक की आत्मा कर रहा है भारत की रक्षा।

यूं तो भारतीय सेना की वीरता की गाथा अक्सर सुनी- सुनाई जाती रहीं है। ये अपने देश के लिए अपना गांव,घर और परिवार को छोड़कर देश की सेवा में जी जान लगा दिये हैं। अभी हाल ही में एक वीडियो काफी वायरल हुआ था जिसमे भारतीय सेना के सहनसिलता को काफी सराहा गया। ये वो देशभक्त हैं जिनकी वजह से आज भारत एक उभरता हुआ ताकवर देश बनाता जा रहा है। भारतीय सैनिकों में सभी धर्मों के सेना शामिल हैं ये आपस मे सभी धर्मों को जोड़कर रखते हैं। इनकी ये एकता पूरे देशवासियों के लिए अच्छा संदेश है कि भारत सिर्फ किसी एक धर्म का देश नही है इसकी रक्षा करने का जिम्मा सभी धर्मों के सैनिकों ने उठाया है।


ऐसे ही एक भारतीय सैनिक के बारे में बता रहा हूँ जो मर गए है लेकिन उनकी आत्मा आज भी देश की रक्षा करने में अपना योगदान देता है। वे तन मन और जान से भी सच्चे देशभक्त थे, आपको शायद विश्वास न हो लेकिन देश का एक ऐसा वीर सैनिक है जो मरने के बाद भी भारत की रक्षा करने का जिम्मा अपने कंधों पर ले रखा है और अपनी ड्यूटी पूरी निष्ठा से कर रहा है। यह हैरान कर देने वाली दास्तां है बाबा हरभजन की।
इनका जन्म 20 अगस्त 1946 को हुया था और इन्होंने 9 फरवरी 1966 को भारतीय सेना में पंजाब रेजिमेंट में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे। 4 अक्टूबर 1968 को वे अपने बटालियन के साथ खच्चरों का काफ़िला ले जा रहे थे। रास्ते मे पूर्वी सिक्कम के नाथुला पहाड़ के पास उनका पैर फिसल गया और वे घाटी में नीचे बहती हुई नदी में गिर गये। पानी का बहाव तेज था जो उन्हें बहाकर काफी दूर लर गया। काफी दिनों तक फौजी हरभजन की खोज चली लेकिन उनका कुच्छ पता नही चला। कुच्छ लोग कहते हैं कि हरभजन सिंह की आत्मा ने अपने एक साथी के सपने में आकर अपनी मृत शरीर के बारे में जानकारी दी थी। जिससे खोजबीन करने पर उनका पार्थिव शरीर उनकी आत्मा के बताए हुए स्थान पर ही मिला था। उन्होंने सपने में ही इच्छा जाहिर की थी कि उनकी समाधि बनाई जाय मै मरने के बाद भी अपनी ड्यूटी पूरी निष्ठा से करूँगा। उनकी इच्छा का मान रखते हुये उनकी एक समाधि भी बनाई गई।

लोगों में इस जगह को लेकर काफी आस्था थी इसलिए श्रद्धालुओं के सुविधा के लिए भारतीये सैनिकों ने 1982 में उनकी समाधि को पहाड़ी से 9 किमी दूर नीचे बनवा दिया। इसे अब " बाबा हरभजन मंदिर " के नाम से जाना जाता है। हर साल यहां हजारों लोग दर्शन के लिए आते हैं।कहा जाता है कि बाबा हरभजन के मृत्यु के बाद भी नाथुला के आसपास चीनी सेना की गतिविधियों को भारतीये सैनिको को सपने में दे देते हैं, जो हमेशा सच साबित हुई है। उनकी मौत को 48 साल से भी ज्यादा हो गए हैं। लेकिन आज भी बाबा हरभजन सिंह की आत्मा भारतीये सेना में अपना कर्तव्य पूरी निष्ठा से निभा रही है। इनके मंदिर में जूते और बाकी के समान भी रखा गया है।

इस मंदिर के बाहर कुच्छ जवान चौकीदारी करते हैं और रोजाना उनके जूते को पॉलिश करते हैं, वर्दी साफ करते हैं और उनका बिस्तर भी लगाते हैं। इनका कहना है कि साफ किये हुए जूते पर अगले दिन कीचड़ लगी होती है और बिस्तर भी बिखरी होती है।

उनकी आत्मा से जुड़ी बातें भारत ही नही चीन की सेना भी बताते है कि आपका कोई सैनिक रात के समय बॉर्डर पर सफेद घोड़ें पर सवार होकर आता है उसे आप रोको। इस तरह धीरे - धीरे उन्हें भी बाबा हरभजन सिंह के बारे में मालूम चल गया।
15 सितंबर से 15 नवंबर तक दो महीनों के लिए बड़ी श्रद्धा के साथ स्थानिय लोग और सैनिक एक जुलूस के रूप में उनकी वर्दी, जूते, टोपी को निकालते हैं और सालभर का वेतन उनके गांव में उनके घर भेज दिया जाता है। लेकिन कुच्छ साल पहले बाबा हरभजन को रिटायरमेन्ट दे दी गई और उसके बाद से ही इस प्रथा को समाप्त कर दिया गया। इस तरह की आस्था पर भले ही सवाल उठाया जाए या इसे अन्धविश्वास कहा जाये लेकिन भारतीय सैनिकों का मानना है कि उनकी समाधि के पास जाने से उनकी आत्मविश्वास मे वृद्धि होती है। आज भी उनकी समाधि पर श्रद्धालू आते हैं और कुच्छ सैनिक बाहर पहरेदारी करते हैं।
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