आपको यकीन नही होगा कि दुनिया का सबसे पुराना कंप्यूटर दो हजार साल से भी ज्यादा पुराना है। यह समुद्र की गहराई में खो गया था।
प्राचीन और मध्ययुगीन कालों में खगोलीय गणनाओं के लिए कई एनलॉग कंप्यूटरों का निर्माण किया गया था इसमे शामिल हैं प्राचीन ग्रीस की एन्टीकिथेरा ( Antikythera ) मैकेनिजम और एस्ट्रोलैब ( 150-100 बीसी ) जिन्हें आमतौर पर सबसे प्रारंभिक ज्ञात एनलॉग कंप्यूटर माना जाता है। कुच्छ सालों पहले एक यूनानी द्वीप एन्टीकिथेरा ( Antikythera ) के पास यह कंप्यूटर समुद्र की तलहटी से पाया गया। जिसके कारण इसे एन्टीकिथेरा मैकेनिजम के नाम से जाना जाता है। इस डिवाइस की विचित्रता इस बात से लगाई जा सकती है कि यह हजारों साल पहले बनाया गया था और यह उस समय का बेहद जटिल मैकेनिजम है।
शोधकर्ताओं ने इसे एक इंफ्रारेड टेक्नोलॉजी से खंगाला तो पाया कि इसमे 82 अलग - अलग पुर्जें हैं, जिनपर यूनानी भाषा मे खगोलीय लेख और कॉड अंकित हैं। इस कंप्यूटर से चंद्र और सूर्य ग्रहण की भविष्यवाणी के लीये इस्तेमाल किया जाता था। वहीं कुच्छ शोधकर्ताओं का मानना है कि इस डिवाइस का इस्तेमाल तारों की गणना के लिए भी किया जाता होगा इसमे और भी पांच ग्रह मंगल, वृहस्पति, बुध, शुक्र और शनि का भी स्थिति के बारे में जाना जाता होगा। इसका प्रयोग किसलिए किया जाता था इसका जानकारी सही सही कोई नही लगा पाया है। बस मिली जानकारी के अनुसार इतना पता लगाया गया है कि यह डिवाइस दो हजार साल से भी ज्यादा पुराना है और यह उस समय का बेहद जटिल तकनीक था।
वैसे तो आधुनिक विज्ञान में पहला कंप्यूटर 1936 से 1938 के बीच बना था, उससे पहले 1822 में चार्ल्स बबेज ने कई सारे पुर्जों को जोड़कर एक ' डिफरेन्स इंजन ' को विकसित किया जिसे पहला स्वचालित कंप्यूटिंग इंजन माना जाता है। यह कई सेट नंबरों की गणना करने और परिणामों के हार्ड कॉपी बनाने में सक्षम था। लेकिन दुर्भाग्य से पैसों की कमी की वजह से उन्होंने इस मशीन को पूर्ण रूप से कार्यात्मक संस्करण को पूरा करने में सक्षम नही हो पाए।
फिर 1936 से 1938 में जर्मनी के कोनराड ज़ुस ( Konrad Zuse ) ने Z1 नामक पहली इलेक्ट्रो - मैकेनिकल बायनरी प्रोग्राम वाली कंप्यूटर बनाई और इसे पहला कार्यात्मक कंप्यूटर माना जाता है। दोस्तों इस तरह के और भी मज़ेदार जानकारियां आप मेरे फेसबुक पेज से भी जान सकते हैं।
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