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Thursday 27 July 2017

1965 के युद्ध मे, माता के चमत्कार से आपस मे ही लड़ कर मर गये पाकिस्तानी सैनिक इस जगह पर

पाकिस्तान के नापाक हरकतों की वजह से, 1965 और 1971 मे भारत और पाकिस्तान का युद्ध दो बार जबरजस्त तरीके हुया। इन दोनों युद्धों मे पाकिस्तान की हार हुई थी। इस युद्ध मे भारत के दो मंदिर अपने चमत्कार के कारण विश्व विख्यात हुये थे।

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पश्चिमी राजस्थान में स्थित जैसलमेर से 120 मिल दूर स्थित 'श्री मातेश्वरी तनोट राय मंदिर' से 5 मिल पहले 'माता घन्टयाली मंदिर' है। इन दोनों मंदिरों में पूजा वहाँ के बीएसएफ सिपाही करते हैं। 1200 साल पुराने माता के इन मंदिरों के बारे में मान्यता यह है कि पाकिस्तान के साथ दोनों युद्धों में माता ने अपने चमत्कार से भारतीये सैनिकों की मदद की थी।

250 शत्रु सेना ने आपस मे ही लड़कर मर गये।


Google/घन्टयाली माता मंदिर

1965 के जंग में जब पाकिस्तानी सेना इस जगह पर दोनों ओर से आमने सामने से आने लगे तो वे भ्रम का शिकार हो गयें। और भारतीये सेना समझकर एक दूसरे को ही गोलियों से दाग दिये।
दूसरी बार पाकिस्तान के एक टुकड़ी 250 सैनिकों के साथ जब यहाँ पहुचा तो उन्होंने माता घन्टयाली का सिंगार उतारने और मूर्ति खंडित जैसे नापाक हरकत करने लगें। इसी बीच एक छोटी सी लड़की वहां आई और सैनिकों से बोली- "मूर्ति खंडित करना पाप है।" इन शब्दों को सुनने के बाद पाक सैनिकों में विवाद बढ़ गया और वे आपस मे ही एक- दूसरे पर गोलियां बरसाने लगें। जिसमे लगभग सारे सैनिक वहीं मारें गये। और जो बचे वो भारतीये सेना के हत्थे चढ़ गये बाद मे।
कहानी की मान्यता यह है कि माता ने ही छोटी बच्ची का रूप लेकर उन्हें आपस मे लड़ा दी थी।

3000 बम गोले बरसाने के बाद भी मंदिर को खरोंच तक नही आई।


Google/श्री मातेश्वरी तनोट राय मंदिर

ऐसा ही चमत्कार माता तनोट के मंदिर में हुया था। 1965 के युद्ध मे पाक सेना ने यह लगभग 3000 बम के गोले फेकें थे और मंदिर को एक खरोंच तक नही आई थी। पाक सेना हर बार मंदिर का लक्ष्य बना कर तोप से गोला दाग रहें थे। लेकिन चमत्कारी डंग से उनका लक्ष्य भटक जा रहा था। मंदिर परिसर में और आसपास 450 गोले गिरे लेकिन वे फटे नही। उस समय यहाँ पर सुरक्षा के लीये भारत के तरफ से 13th ग्रेनेडियर्स के मेजर जय सिंह के हाथ कमांड सोपी गई थी।

Google/तनोट विजय स्तंभ

जब भारतीये सैनिको ने देखा कि हम कम संख्या मे हैं फिर भी माता इस युद्ध मे हमारा साथ दे रही है। तो वे पूरे आत्मविश्वास के साथ लड़ने लगे और आखिर मे हजारों दुश्मन सेना को मौत के नींद सुला दीये। आखिरकार पाक सेना अपना पीठ दिखाकर भाग खड़े हुये।

Google/भारत पाकिस्तान युद्ध

1971 के युद्ध मे, इसी क्षेत्र में, भारतीये सेना ने माता के आशीर्वाद से पूरी पाकिस्तानी टैंक रेजिमेंट को परखच्चे उड़ा दिये थें। जो एक बड़ी जीत साबित हुई थी। इससे शत्रु युद्ध के मैदान मे पूरा कमजोर हो गया था।

Google/तनोट संग्रहालय

मंदिर परिसर मे जो गोले नही फटे थे वे आज भी मंदिर के म्यूज़ियम मे रखा हुआ है। मंदिर के व्यवस्था का भार बीएसएफ ने अपने हाथों में ले लिया है। यहां एक विजय स्तम्भ बनाया गया है और हर साल 16 दिसंबर को यहाँ शहीद सैनिकों की याद में त्योहार मनाया जाता है। पाक सेना में आज भी इन दोनों मंदिरों का खौफ बना हुआ है।

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