दुनिया के 10 सबसे डरावनी और वीरान जगह।
वैसे तो दुनिया बेहद ही खूबसूरत जगहों से भरी हुई है जिसमे इमारते , द्वीप और शहरे शामिल हैं।
लेकिन इस दुनिया में कुछ ऐसे भी जगह हैं जो खूबसूरत होने के साथ साथ सदियो से वीरान और डरावनी हैं। जहाँ कोई भी आता जाता नहीं है। इनके वीरान होने की वजह जो भी हो लेकिन कुच्छ जगहों की बहुत ही रोचक वजह है। चलिये ऐसे ही दुनिया के बेहद 10 जगहों के बारे में बताते हैं जो सदियों से वीरान पड़े हैं।
1. डरावनी गुड़ियों का आइलैंड ।
मैक्सिको सिटी के बाहरी इलाको में मौजूद आइलैंड ऑफ़ द डॉल्स, हजारो टूटी फूटी और डरावनी गुड़ियों का घर है। जो वाहा पेड़ो और दीवारों से टंगी हुयी है।
इन गुड़ियों को इस तरह से टंगी होने के पिच्छे एक अजीब सी कहानी है। कहा जाता है कि आइलैंड के देखभाल करने वाला एक व्यक्ति ने इन्हें यहाँ टांगा था। उसे इस आइलैंड के नहर पे एक छोटी सी लड़की अजीब सी हालात में मरी हुई मिली। साथ ही उसके लाश के पास एक तैरती हुयी गुड़िया भी मिली थी। उस आदमी ने उस गुड़िया को मरी हुई लड़की से जोड़कर सम्मान देने के लिए एक पेड़ से टांग दिया। थोड़े दिनों बाद उस आदमी को मरी हुई लड़की के आवाज और डरावने सपने आने लगे।
और इसके बाद उसने अपने जिंदगी के 50 साल ईस तरह के हजारों गुड़ियों को टांगने में लगा दिए। इससे और अजीब बात ये हुयी की 2001 में उस आदमी के शव उस जगह मिला जहा उस आदमी को मरी हुई लड़की के शव मिला था।
2. हाउस ऑफ द बुलगेरिण कमिनिस्ट पार्टी।
1981 में बनी यह जगह सोवियत युग के दौरान कभी बुल्गेरिया कम्युनिस्ट पार्टी का केंद्र हुआ करती थी। पर एक दसक से कम समय में सोवियत संघ के सदस्य देश और सदस्य देशों के बीच आयरन कटिंग टूट जाने पे यह जगह वीरान होकर सोवियत युग के अंत का प्रतीक बन गयी। इस जगह के ज्यादातर भाग या तो टूट गए या चोरा लिये गए । जिस से ये जगह एक खंडहर का रूप ले लिया।
बाद में इस जगह को टूररिस्म के लिए इस जगह को रिस्टोर करने की कोशिश की गयी लेकिन ईसे फिर से जिन्दा करने की अनुमानित लागत बहुत ज्यादा है। इसलिए ये जगह कई सालों से वीरान पड़ी हुई है।
3. मार्लबोरो पागलो का हॉस्पिटल।
यह हॉस्पिटल USA में अपने काले इतिहाश के लिए जाना जाता है। 1931 में खुले इस हॉस्पिटल में अगले 65 सालो में अजीब वारदाते हुयी। जिसमे मरीजो का रहस्यमय ढंग से गायब होना, आत्महत्या करना और दम घुट कर मर जाना जैसी घटनाये शामिल थी।
ये घटनाये इतनी ज्यादा हो गयी की USA सरकार द्वरा इसे गोपिणीये ढंग से जाँच करवाई गयी। सेनिटर रेटी जे कोडी को अपने अंडर कवर आपरेशन के दौरान, हॉस्पिटल में एक एम्प्लॉय के हैसियत से एंट्री मिल गयी, जिसमे उसे हॉस्पिटल के बाहरी कॉटेज में काम करने के लिए कहा गया ।
कोडी का बैकग्राउंड किसी ने नहीं चेक किया। जाँच में पाया गया कि यहाँ पिछले 60 सालों से मरीजो का शोषण और गैर कानूनी मेडिकल एक्सपेरिमेंट किये जा रहे हैं। ईस हॉस्पिटल में प्रतिबंध लगाने के बाद यह कई सालों से वीरान पड़ा हुआ है।
4. कोलमोस्कोप नामीबिया।
बीईस्वी शताब्दी के सुरुआत में जर्मन उपनिवेसो द्वारा बसाया गया ये कोलमोस्कोप का ये शहर नामिब डेज़र्ट में 1950 के बाद से आज तक वीरान और बेजान पड़ा है। जर्मन उपनिवेश बहुमूल्य रतनों के खोज में यहाँ आये थे अपना काम पूरा हो जाने के बाद, 1950 में वे यहाँ से चले गए।
उसके बाद यहाँ फिरसे कोई नहीं आया । यहाँ के ज्यादातर लकड़ी के इमारते टूट रही हैं। ईनमे से कुछ तो रेगिस्तान में दफ़न हो चुके हैं। पिछले कई दशको से यहाँ फिर से बसने की किसी ने कोसीश नहीं की, जिससे ये जगह दुनिया के बेहद डरावनी और वीरान बन जाती है।
5. प्रिप्यत सिटी, यूक्रेन।
प्रिप्यत शहर 1986 में यापीने नुक्लयर पावर प्लांट त्रासदी के लिए जाना जाता है। यूक्रेन के उत्तरी प्रान्त के करीब शहर चैर्नोब्ले 26 अप्रैल 1986 को अचानक तेज धमाके के साथ सुर्खियों में छा गया वहाँ स्थित परमाणु रिएक्टर में बिजली के मात्रा बढ़ोतरी से पैदा हुई गर्मी से चार मंजिला इमारत फट पड़ी ।
और परमाणु रेडियशन ने उत्तरी मध्य यूरोप को भी अपने आगोश में ले लिया, कुल 31 मौते हुयी और चार साल में लगभग 4 लाख लोगो को विस्थापित किया गया। अब भी कैंसर और विकलांगता से यहाँ लोग जूझ रहे हैं। विकरण इतना भयंकर था कि उसे रोकने का प्रयाश अबतक किये जा रहे हैं।
शहर अब पूरी तरह से खाली है।
जिंदगी के बची कुछ निशानिया यहाँ अब भी देखि जा सकती हैं। परमाणु रेडियसन से ग्रसित ये खूबसूरत शहर अब बिलकुल वीरान है।
6. हसीमा आइलैंड जापान।
एक युद्ध पोत जैसे दिखने वाले हसीमा आइलैंड को बैटल शिप आइलैंड या घोस्ट आइलैंड भी कहा जाता है। लगभग एक शाताब्दी तक ये आइलैंड कोल माइनिंग के एक प्रसिद्ध जगह और हजारो वर्कर्स का घर थी। 1890 में इस जगह को जापान के मिस्तुबुसि कंपनी ने खरीदी कर यहाँ नौ मंजिला कंक्रीट की ईमारत बनाई थी।
1951 तक ये आइलैंड अपनी 5000 से भी ज्यादा पापुलेशन के वजह से दुनिया के सबसे ज्यादा जनसँख्या घनत्व वाली जगह थी। लेकिन जब यहाँ कोल माइनिंग बंद हुयी तब यह आइलैंड पूरी तरह से वीरान हो गया। ईस जगह को देखने पे ऐसा लगता है कि इतिहास में यहाँ पर कोई भयंकर घटना घटी होगी। वैसे ये आइलैंड फिल्मो के शूटिंग के लिए इस्तेमाल होता आया है। जेम्स बांड स्कीफॉल मूवी का एक दृश्य यही फिल्माया गया है।
7. धनुष कोडी पम्बन आइलैंड भारत।
धनुषकोडि गांव भारत और श्री लंका के बिच एक मात्र स्थलीय सिमा है। जो पाक जल सन्धि में बालू के टीले में 50 गज के लंबाई में विश्व के लघुतम स्थानों में से एक है।
यह भारत के अंतिम छोर पे स्थित है जहा से श्री लंका दिखाई देता है। ये जगह दुनिया के डरावने जगहों में से एक है , यहाँ ऐसी अफवाहे भी हैं कि ये एक भुतहा जगह है। क्योंकि इस इलाके में अंधेरा होने पे घुमना मना है। यहाँ जाने वाले लोग दिन के उजाले में घूमने जाते हैं और अँधेरा होने से पहले ही रामेश्वरम लौट जाते हैं। क्योंकि पूरा 15 किलोमीटर का रास्ता डरावना , सुनसान और रहस्यमय है।
8. विल्ला अपेकेन, अर्जेंटीना ।
1920 के दशक में लईगो अपेकेन के किनारे एक टूरिज़्म गांव स्थापित किया गया था, जिसका नाम विल्ला अपेकेन रखा गया। जल्द ही यहाँ रेल यातायात के सुविधा भी विकसित हो गयी, उसके बाद यह शहर आने वाले कई दशकों तक फला-फुला । 1970 तक आते आते इस गांव की जनसँख्या 5000 के ऊपर पहुच गई थी।
उसी समय अचानक से हुए एक मौसमी बदलाव ने यहाँ पर होने वाले बरसात के स्तर को सामान्य से बहुत ज्यादा कर दिया, जिसके वजह से यहाँ कई सालों तक भयंकर बारिश हुई। 1985 में पूर्वी बाँध से पानी भारी मात्र में बहार निकलने लगा और ये गांव उसमे डूब गया।
उसके बाद यहाँ पानी का स्तर 10 मिटर तक बढ़ गया। बाद के सालो में मौसम सही होने से पानी का स्तर तो कम हो गया लेकिन उसके बाद से ये गांव वीरान पड़ा हुआ है।
9. होटल डेल साल्टो , कोलम्बिया।
बगोटा कोलम्बिया के बाहरी इलाके में 515 फिट ऊँचे जलप्रपात के पास स्थित होटल डेल साल्टो 1928 में पहली बार खुला था। अगले कई दशकों तक ये जगह पर्यटको का पसंदीदा जगह रहा लेकिन बाद में बगोटा नदी के दुसित हो जाने पर यहाँ टोररिस्म धीरे-धीरे कम होने लगा।
1990 तक आते आते ये होटल पूरी तरह बंद हो गया। कुच्छ लोगो का मानना है कि जलप्रपात पे होने वाले अतम्हात्यो के वजह से यइ होटल अब भुतहा जगह बन चूका है।
10. मौनसेल सी फोर्ट।
थेम्स नदी के मुहाने पे बनी मौनसेल सी फोर्ट पिछ्ले 65 सालो से जंग खा रहे हैं। नदी के किनारे से बने दूर ये टावर कभी दूसरे विश्व युद्ध के दौरान काम में आते थे।
1950 के अंत तक इन्हें आधिकारिक तौर पे बंद कर दिया गया, तब भी से ये टावर आम इनसान से अलग अंजान और वीरान पड़े हैं।
वैसे तो दुनिया बेहद ही खूबसूरत जगहों से भरी हुई है जिसमे इमारते , द्वीप और शहरे शामिल हैं।
लेकिन इस दुनिया में कुछ ऐसे भी जगह हैं जो खूबसूरत होने के साथ साथ सदियो से वीरान और डरावनी हैं। जहाँ कोई भी आता जाता नहीं है। इनके वीरान होने की वजह जो भी हो लेकिन कुच्छ जगहों की बहुत ही रोचक वजह है। चलिये ऐसे ही दुनिया के बेहद 10 जगहों के बारे में बताते हैं जो सदियों से वीरान पड़े हैं।
1. डरावनी गुड़ियों का आइलैंड ।
मैक्सिको सिटी के बाहरी इलाको में मौजूद आइलैंड ऑफ़ द डॉल्स, हजारो टूटी फूटी और डरावनी गुड़ियों का घर है। जो वाहा पेड़ो और दीवारों से टंगी हुयी है।
इन गुड़ियों को इस तरह से टंगी होने के पिच्छे एक अजीब सी कहानी है। कहा जाता है कि आइलैंड के देखभाल करने वाला एक व्यक्ति ने इन्हें यहाँ टांगा था। उसे इस आइलैंड के नहर पे एक छोटी सी लड़की अजीब सी हालात में मरी हुई मिली। साथ ही उसके लाश के पास एक तैरती हुयी गुड़िया भी मिली थी। उस आदमी ने उस गुड़िया को मरी हुई लड़की से जोड़कर सम्मान देने के लिए एक पेड़ से टांग दिया। थोड़े दिनों बाद उस आदमी को मरी हुई लड़की के आवाज और डरावने सपने आने लगे।
और इसके बाद उसने अपने जिंदगी के 50 साल ईस तरह के हजारों गुड़ियों को टांगने में लगा दिए। इससे और अजीब बात ये हुयी की 2001 में उस आदमी के शव उस जगह मिला जहा उस आदमी को मरी हुई लड़की के शव मिला था।
2. हाउस ऑफ द बुलगेरिण कमिनिस्ट पार्टी।
बाद में इस जगह को टूररिस्म के लिए इस जगह को रिस्टोर करने की कोशिश की गयी लेकिन ईसे फिर से जिन्दा करने की अनुमानित लागत बहुत ज्यादा है। इसलिए ये जगह कई सालों से वीरान पड़ी हुई है।
3. मार्लबोरो पागलो का हॉस्पिटल।
यह हॉस्पिटल USA में अपने काले इतिहाश के लिए जाना जाता है। 1931 में खुले इस हॉस्पिटल में अगले 65 सालो में अजीब वारदाते हुयी। जिसमे मरीजो का रहस्यमय ढंग से गायब होना, आत्महत्या करना और दम घुट कर मर जाना जैसी घटनाये शामिल थी।
ये घटनाये इतनी ज्यादा हो गयी की USA सरकार द्वरा इसे गोपिणीये ढंग से जाँच करवाई गयी। सेनिटर रेटी जे कोडी को अपने अंडर कवर आपरेशन के दौरान, हॉस्पिटल में एक एम्प्लॉय के हैसियत से एंट्री मिल गयी, जिसमे उसे हॉस्पिटल के बाहरी कॉटेज में काम करने के लिए कहा गया ।
कोडी का बैकग्राउंड किसी ने नहीं चेक किया। जाँच में पाया गया कि यहाँ पिछले 60 सालों से मरीजो का शोषण और गैर कानूनी मेडिकल एक्सपेरिमेंट किये जा रहे हैं। ईस हॉस्पिटल में प्रतिबंध लगाने के बाद यह कई सालों से वीरान पड़ा हुआ है।
4. कोलमोस्कोप नामीबिया।
बीईस्वी शताब्दी के सुरुआत में जर्मन उपनिवेसो द्वारा बसाया गया ये कोलमोस्कोप का ये शहर नामिब डेज़र्ट में 1950 के बाद से आज तक वीरान और बेजान पड़ा है। जर्मन उपनिवेश बहुमूल्य रतनों के खोज में यहाँ आये थे अपना काम पूरा हो जाने के बाद, 1950 में वे यहाँ से चले गए।
उसके बाद यहाँ फिरसे कोई नहीं आया । यहाँ के ज्यादातर लकड़ी के इमारते टूट रही हैं। ईनमे से कुछ तो रेगिस्तान में दफ़न हो चुके हैं। पिछले कई दशको से यहाँ फिर से बसने की किसी ने कोसीश नहीं की, जिससे ये जगह दुनिया के बेहद डरावनी और वीरान बन जाती है।
5. प्रिप्यत सिटी, यूक्रेन।
प्रिप्यत शहर 1986 में यापीने नुक्लयर पावर प्लांट त्रासदी के लिए जाना जाता है। यूक्रेन के उत्तरी प्रान्त के करीब शहर चैर्नोब्ले 26 अप्रैल 1986 को अचानक तेज धमाके के साथ सुर्खियों में छा गया वहाँ स्थित परमाणु रिएक्टर में बिजली के मात्रा बढ़ोतरी से पैदा हुई गर्मी से चार मंजिला इमारत फट पड़ी ।
और परमाणु रेडियशन ने उत्तरी मध्य यूरोप को भी अपने आगोश में ले लिया, कुल 31 मौते हुयी और चार साल में लगभग 4 लाख लोगो को विस्थापित किया गया। अब भी कैंसर और विकलांगता से यहाँ लोग जूझ रहे हैं। विकरण इतना भयंकर था कि उसे रोकने का प्रयाश अबतक किये जा रहे हैं।
जिंदगी के बची कुछ निशानिया यहाँ अब भी देखि जा सकती हैं। परमाणु रेडियसन से ग्रसित ये खूबसूरत शहर अब बिलकुल वीरान है।
6. हसीमा आइलैंड जापान।
एक युद्ध पोत जैसे दिखने वाले हसीमा आइलैंड को बैटल शिप आइलैंड या घोस्ट आइलैंड भी कहा जाता है। लगभग एक शाताब्दी तक ये आइलैंड कोल माइनिंग के एक प्रसिद्ध जगह और हजारो वर्कर्स का घर थी। 1890 में इस जगह को जापान के मिस्तुबुसि कंपनी ने खरीदी कर यहाँ नौ मंजिला कंक्रीट की ईमारत बनाई थी।
1951 तक ये आइलैंड अपनी 5000 से भी ज्यादा पापुलेशन के वजह से दुनिया के सबसे ज्यादा जनसँख्या घनत्व वाली जगह थी। लेकिन जब यहाँ कोल माइनिंग बंद हुयी तब यह आइलैंड पूरी तरह से वीरान हो गया। ईस जगह को देखने पे ऐसा लगता है कि इतिहास में यहाँ पर कोई भयंकर घटना घटी होगी। वैसे ये आइलैंड फिल्मो के शूटिंग के लिए इस्तेमाल होता आया है। जेम्स बांड स्कीफॉल मूवी का एक दृश्य यही फिल्माया गया है।
7. धनुष कोडी पम्बन आइलैंड भारत।
धनुषकोडि गांव भारत और श्री लंका के बिच एक मात्र स्थलीय सिमा है। जो पाक जल सन्धि में बालू के टीले में 50 गज के लंबाई में विश्व के लघुतम स्थानों में से एक है।
यह भारत के अंतिम छोर पे स्थित है जहा से श्री लंका दिखाई देता है। ये जगह दुनिया के डरावने जगहों में से एक है , यहाँ ऐसी अफवाहे भी हैं कि ये एक भुतहा जगह है। क्योंकि इस इलाके में अंधेरा होने पे घुमना मना है। यहाँ जाने वाले लोग दिन के उजाले में घूमने जाते हैं और अँधेरा होने से पहले ही रामेश्वरम लौट जाते हैं। क्योंकि पूरा 15 किलोमीटर का रास्ता डरावना , सुनसान और रहस्यमय है।
8. विल्ला अपेकेन, अर्जेंटीना ।
1920 के दशक में लईगो अपेकेन के किनारे एक टूरिज़्म गांव स्थापित किया गया था, जिसका नाम विल्ला अपेकेन रखा गया। जल्द ही यहाँ रेल यातायात के सुविधा भी विकसित हो गयी, उसके बाद यह शहर आने वाले कई दशकों तक फला-फुला । 1970 तक आते आते इस गांव की जनसँख्या 5000 के ऊपर पहुच गई थी।
उसी समय अचानक से हुए एक मौसमी बदलाव ने यहाँ पर होने वाले बरसात के स्तर को सामान्य से बहुत ज्यादा कर दिया, जिसके वजह से यहाँ कई सालों तक भयंकर बारिश हुई। 1985 में पूर्वी बाँध से पानी भारी मात्र में बहार निकलने लगा और ये गांव उसमे डूब गया।
उसके बाद यहाँ पानी का स्तर 10 मिटर तक बढ़ गया। बाद के सालो में मौसम सही होने से पानी का स्तर तो कम हो गया लेकिन उसके बाद से ये गांव वीरान पड़ा हुआ है।
9. होटल डेल साल्टो , कोलम्बिया।
बगोटा कोलम्बिया के बाहरी इलाके में 515 फिट ऊँचे जलप्रपात के पास स्थित होटल डेल साल्टो 1928 में पहली बार खुला था। अगले कई दशकों तक ये जगह पर्यटको का पसंदीदा जगह रहा लेकिन बाद में बगोटा नदी के दुसित हो जाने पर यहाँ टोररिस्म धीरे-धीरे कम होने लगा।
1990 तक आते आते ये होटल पूरी तरह बंद हो गया। कुच्छ लोगो का मानना है कि जलप्रपात पे होने वाले अतम्हात्यो के वजह से यइ होटल अब भुतहा जगह बन चूका है।
10. मौनसेल सी फोर्ट।
थेम्स नदी के मुहाने पे बनी मौनसेल सी फोर्ट पिछ्ले 65 सालो से जंग खा रहे हैं। नदी के किनारे से बने दूर ये टावर कभी दूसरे विश्व युद्ध के दौरान काम में आते थे।
1950 के अंत तक इन्हें आधिकारिक तौर पे बंद कर दिया गया, तब भी से ये टावर आम इनसान से अलग अंजान और वीरान पड़े हैं।
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