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Friday 12 May 2017

प्राचीन इतिहास से लेकर आधुनिक समय तक मे ऐसे 7 राहस्यमयी अविष्कार जो पूरी दुनियां को बदल देती।

जैसे-जैसे वक्त बिताता जा रहा है, हमारी दुनिया में नई नई तकनीकों का आविष्कार होते जा रहा है, और हमारी दुनिया आधुनिक विज्ञान की तरफ हर दिन एक नए कदम के साथ बढते जा रहा है। वैज्ञानिकों ने ऐसा अनुमान लगाया है कि 22 वीं सदी के आखिर तक हमारी तकनीकी इतनी उन्नत हो जाएगी हम मंगल पर अपना बस्ती बसा चुके होंगे और लंबी दूरी की यात्रा पलक झपकते ही कर लेंगे। आज के इस आधुनिक युग में रोजाना नए आविष्कार हो रहे हैं, जिनकी वजह से हमारा जीवन शैली एकदम बिल्कुल ही बदल गये हैं। जो इंसानी सभ्यता को एक नए मुकाम पर पहुंचा रहे हैं, लेकिन इतनी तकनीकों के होने के बावजूद अगर हम अपनी इतिहास पर नजर डालें तो, देखते हैं कि हम उनकी तकनीक के आगे कोसों दूर नजर आते हैं। क्योंकि प्राचीन समय में इंसानों ने ऐसी खोजो और आविष्कारें की है कि जिन्हें आज की आधुनिक इंसान अभी तक नहीं बना पाया है। हम आज कितना भी तरक्की कर गए हैं लेकिन अभी भी उनकी तकनीक को समझ नहीं पाए हैं कि आखिर उन्होंने ऐसी आविष्कार कैसे की थी और फिर उस तकनीक को दुबारा से क्यों नहीं बनाया गया। आज ऐसे ही कुछ प्राचीन इतिहास के अविष्कारों के बारे में बताते हैं जो कभी हमारे इतिहास में मौजूद थे, लेकिन समय के साथ उनकी वह तकनीक समाप्त हो गई और उन्हें दोबारा से नहीं बनाया जा सका। पुराने समय में लोग इतने आधुनिक नहीं थे लेकिन उनकी अविष्कार और तकनीके ऐसी थी जो हमें चौका सकते हैं। लेकिन कुछ कारणों से उनकी यह आविष्कारें हमारे लिए इतिहास बन गए।
1. वितृम फ्लेक्सीले (Vitran Flexile)
Image: Vitran Flexile

जैसा की हम सभी जानते हैं की कांच के 3 गुण होते हैं पहला - यह आसानी से टूट जाता है, दूसरा - ये पारदर्शी होते हैं और तीसरा - ये आसानी से मुड़ते नहीं हैं। माना कि आज की तकनीक ने ऐसी कांच बना ली है जो आसानी से टूटते नहीं है जैसे कि कुछ महंगा फोन में ऐसी कांच लगाई जाती है जो आसानी से नहीं टूटती है। लेकिन इतिहास के नजरिए से देखें तो इस तकनीक को हजारों साल पहले ही इस से बेहतर पा लिया गया था। रोमन के इतिहास में एक ऐसे पदार्थ का जिक्र किया गया है जिसे 'वितृम फ्लेक्सीले' कहा गया है। उनके इतिहास के अनुसार 40 - 35 ई० पूर्व के बीच एक अनजान आदमी रोमन के राजा टिग्रिस (Tigris) के राज्यसभा में आता है और दावा करता है कि उसके द्वारा बनाया गया घड़ा कोई नहीं तोड़ सकता। उस अनजान आदमी के दावे को परखने के लिए उस पारदर्शी घड़े को कई बार पटका जाता है और उसे तोड़ने की कोशिश की जाती है लेकिन वह कांच का घड़ा किसी से नहीं टूटा बल्कि वह थोड़ा मूड जाता है। इसके बाद वह अंजान आदमी उस पारदर्शी घड़े को हथौड़े से पीटकर फिर से सही आकार में ले आता है। और यह सब देखकर सम्राट टिग्रिस सहित सभा के बाकी सभी लोग हैरान हो जाते हैं। सम्राट टिग्रिस उस अनजान व्यक्ति से पूछते हैं कि इस पारदर्शी घड़े को बनाने की विधि किस - किस को मालूम है। वह व्यक्ति बताता है कि सिर्फ उसे ही पता है। उसके ऐसा कहते ही सम्राट उसका सर धड़ से अलग करवा देता है। दरअसल सम्राट को डर था कि यह चीज सोने और चांदी की चीजों की कीमत गिरा देगा, इसके साथ ही उस व्यक्ति के साथ यह तकनीक भी लुप्त हो जाता है।
2. आर्कमिडीज रे हथियार (Archimedes Ray Weapon)
Image: Archimedes Ray Weapon

ग्रीस के महान गणितज्ञ आर्कमिडीज ने 212 बी० सी० में एक ऐसा हथियार बनाया था जो सूरज की किरणों से दुश्मन के जहाज को पलभर में जलाकर खाक कर देता था यानी कि इस हथियार से सूरज की किरणों के गर्मी को भयानक रूप से बनाकर जहाज की तरह मोड़ दिया जाता था। जिससे वह जहाज पल भर में ही जलकर नष्ट हो जाता था। कहा जाता है कि इस हथियार को बनाने में कई बड़े-बड़े दर्पण का इस्तेमाल किया गया था हालांकि कई शोधकर्ताओं का मानना है कि ऐसा हथियार बनाना नामुमकिन है। क्योंकि इस तरीके के हथियार से किसी भी चीज को जलाने में काफी समय लगेगा और इसका इस्तेमाल करने के लिए सूरज का भी सही दिशा में होना बहुत जरूरी है इसलिए इस हथियार को कुछ लोग काल्पनिक कहानियों का हिस्सा मानते हैं। लेकिन कुछ दिनों पहले एमआईटी के छात्रों ने कुछ दर्पणों को लेकर एक प्रयोग किया, उन्होंने इसका प्रयोग एक छोटी नाव पर किया और उन्होंने इस पर काफी हद तक सफलता भी पाई। इसके बाद उन लोगों का मानना है कि ऐसा संभव हो सकता है क्योंकि जब एक छोटे मैग्निफाइंग क्लास से कागज पर सूरज की किरणों को फोकस करते हैं तो महज कुछ ही सेकंड हो में वह जलने लगता है। शायद उस समय भी ऐसे ही बड़े-बड़े मैग्नीफाइंग मिरर का इस्तेमाल कर किसी एक बड़े जहाज पर सूरज की रोशनी को फोकस किया जाता होगा।
3. लौह स्तंभ भारत
Image: loh-stambh

प्राचीन इतिहास में भारत में भी ऐसे अविश्वसनीय खोजे और आविष्कारें हुई हैं जो आज के वैज्ञानिकों को अचंभित कर रहा है। लगभग 1500 साल से अधिक वर्षों से यह लौह स्तंभ खुले आसमान के नीचे सदियों से सभी मौसमों में अविचल खड़ा है। इतने वर्षों में आज तक उसमें जंग नहीं लगी है, यह दुनिया के लिए आश्चर्य का विषय है। जहां तक इस स्तंभ के इतिहास का प्रश्न है, इसे चौथी सदी में बनाया गया था। इस स्तंभ पर संस्कृत में जो खुदा हुआ है, उसके अनुसार इसे ध्वज स्तंभ के रूप में खड़ा किया गया था। अभी यह दिल्ली के क़ुतुब कॉन्प्लेक्स में स्थित है, यह खंभा 24 फुट ऊंचा है और इसका वजन 6 टन है साथ ही इस पर ऑक्साइड की एक परत भी चढ़ाई गई है और यही वजह है इसे जंग लगने से बचाती है। सबसे बड़ी बात कि आज तक हम इस तरह के किसी भी धातु को नहीं बना पाए हैं जो पूरी तरह से जंग रोधी हो।
4. रोमन कंक्रीट
Image: colosseum in Rom

रोम में ऐसी कई इमारतें हैं जो आज भी हजारों सालों से कई इमारतों को मात देकर खड़े हैं। इन इमारतों के मुख्य बुनियाद है इनमें इस्तेमाल होने वाले कंक्रीट। इन इमारतों में इस्तेमाल होने वाले कंक्रीट कोई सामान्य कंक्रीट नहीं थे, जब कि आजकल के इमारतों में होने वाले सामान्य कंक्रीट की उम्र 100 या 150 सालों तक कि होती है। वही प्राचीन समय में रोम की इमारतों में ऐसी क्रिकेट का इस्तेमाल किया जाता था जो हजारों समय तक टिके रहते थे। और इन्हीं वजह से आज भी यही ये इमारतें कई आपदाओं के बावजूद भी खड़े हैं। कहा जाता है कि उस वक्त कांक्रीट में ज्वालामुखी का राख भी मिलाया जाता था, और इन्हीं वजहों से दरारों को फैलने से रोकती थी। लेकिन आज तक इस कंक्रीट को तैयार करने की असली विधि कोई नहीं जान पाया और समय के साथ ही यह विधि इतिहास में ही दफन हो गई।
5. ग्रीक फायर या लिक्विड फायर
Image: Greek Fire in ancient time

पूर्वी रोमन एंपायर जिसे बीजान्टिन एम्पायर (Byzantine Empire) के नाम से भी जाना जाता है। वे सातवीं और बारहवीं शताब्दी के बीच मे एक ऐसे हथियार का इस्तेमाल करते थे जिसमे से एक ऐसा तरल पदार्थ निकलता था जो आग की लपटों से भरा रहता था, इसे सीरिया के एक मिलिट्री ने बनाया था। इस हथियार से निकलने वाली आग की खास बात यह थी कि यह पानी पर भी जलती थी, इसे सिर्फ सिरकी या मिट्टी से ही बुझाया जा सकता था। इस हथियार को बनाने का तरीका कुच्छ खास लोगों को ही पता था इसलिए शायद 'ग्रीक फायर' को बनाने का तरीका समय के साथ लुप्त हो गया। हालांकि बाद में आधुनिक समय मे इस हथियार को बनाने की कोशिश की लेकिन वे पूरी तरह से सफल नही हो पायें।
6. क्रोनोवाईजेर (Chronoviser)
Image: Chronoviser computeris image

1960 के दौरान इस अविष्कार की खबरें लोकल समाचार पत्रों में काफी सुर्खियों में रहीं थी। इसे बनाये थे 'पेलेग्रिनो एरनेट' ने जो कि इटली के एक वैज्ञानिक और पादरी थे। उन्होंने एक ऐसी मशीन का निर्माण किया था जिससे हम भूतकाल की चीजों को देख और सुन सकते थे, इस मशीन को 'क्रोनोवाईजेर' के नाम से जाना जाता था। उनके मुताबिक लूयमेन्स ऊर्जा और ध्वनि जब निकलती है तो वो हमारे वातावरण में रिकॉर्ड हो जाती है।
Image: पेलेग्रिनो एरनेट की न्यूज़पेपर कटिंग

उनका कहना था कि इस मशीन की सहायता से उन्होंने भूतकाल के कई घटनाओं को देखा और सुना था। जिसमे 'जीसस' को सूली पर चढ़ाई जाना प्रमुख घटना में से एक है और अपने अंतिम दिनों में पेलेग्रिनो ने अपने सभी दोस्तों से मुलाकात की थी जिन्होंने इस मशीन को बनाने में उनकी मदद की थी। और इस मुलाकात के बाद इस मशीन को हमेशा के लिए नष्ट कर दिया गया। उनके मुताबिक इस मशीन का गलत इस्तेमाल से दुनियां को भयंकर खतरा हो सकता था। हालांकि उनकी यह अविष्कार सच थी या नही यह आज तक कोई नही जान सका है। लेकिन उस समय मे पेलेग्रिनो एरनेट नाम के वैज्ञानिक और पादरी सचमुच थे।
7. सलूट डिजिटल कॉडिंग सिस्टम (Sloot Digital Coding system)
Image: Jan sloot born on 27 august 1945 and death in 11 july 1999

'सलूट डिजिटल कॉडिंग सिस्टम' एक ऐसा कोडिंग सिस्टम था जिसमे एक एचडी (HD) फ़िल्म पूरी की पूरी 6 से 8 kb के स्पेस में कॉपी की जा सकती थी। इस कॉडिंग के मदद से 2 gb वाली मेंमोरी कार्ड में 128 gb तक के फाइलों को स्टोर किया जा सकता था। इसका अविष्कार 'जॉन सलूट' 1990 से अधिक मेहनत करके 1998 के बीच मे किया था, उनकी यह कॉड कम्प्रेस ऐसा कॉड था जिसमे एक पूरी HD फ़िल्म सिर्फ 8 kb मे रखा जा सकता था। उन्होंने इसका प्रदर्शन फिलिप्स (Philips) कंपनी के कर्मचारियों के सामने किया था। जहां पर उन्होंने 64kb के चिप से एक के बाद एक 16 फिल्मों को चलाकर दिखाई थी। लेकिन इस से पहले की वें फिल्पस कंपनी को यह कोड को सौप पाते की रहस्यमय तरीके से उनकी मौत हो गई, और जिस फ्लॉपी में उन्होंने अपना कोडिंग को स्टोर करके रखा था वह फ्लॉपी भी गुम हो गई। उनकी डेटा को काफी खोज की गई लेकिन वो फ्लॉपी नही मिली।

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