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Friday 17 March 2017

सौरमंडल के बाहर पहुचा प्रथम मानव निर्मित यान।

मानव निर्मित पहली वस्तु है जो सौर मंडल की सीमाओं को तोड़ कर ब्रह्माण्ड की गहराईयों मे प्रवेश कर चुकी है। जी हाँ यह बिलकुल सच है कि वायजर 1 यान मानव निर्मित पहली यान है जो हमारे सौरमंडल के सीमाओं को तोड़कर बाहर निकल चुका है। वैज्ञानिको के अनुसार इस यान के उपकरण बता रहे है कि यह यान सौर वायु से निर्मित बुलबुले (Heliosphere) से बाहर निकल कर सितारों के मध्य के अंतरिक्ष मे यात्रा कर रहा है।
1977 मे प्रक्षेपित वायेजर 1 अंतरिक्ष यान को सौर मंडल के बाह्य ग्रहो के अध्यन के लिये भेजा गया था, यह यान अपने प्राथमिक उद्देश्यो को पूरा करने के बाद भी यात्रा करते रहा और हमे नित नयी जानकारी देता रहा।इस यान के ऊपकरण पीछले कुछ समय से संकेत दे रहे थे के यान एक नये क्षेत्र मे प्रवेश कर चुका है और उसके इर्द्गिर्द का अंतरिक्ष मे बदलाव आया है। इस अभियान के वैज्ञानिक कुछ शंकित थे लेकिन इस यान मे लगे प्लाज्मा वेव साईंस (PWS) उपकरण द्वारा भेजे गये आंकडो के अनुसार यह पाया गया कि इस यान के बाहर आवेशित कण प्रोटान के घनत्व मे बढोत्तरी हुयी है और वैज्ञानिक ने 12 सितंबर 2013 को घोषणा कर दी कि वायेजर 1 अब सौर मंडल के प्रभाव के बाहर सितारो की दूनिया मे है। इसने सौर मंडल के गुरुत्व से बाहर जाने योग्य गति प्राप्त कर ली है। वायेजर 1 अब सौर मंडल में कभी वापिस नहीं आयेगा।
वोयेजर प्रथम अंतरिक्ष यान एक 722 कि.ग्रा का रोबोटिक अंतरिक्ष प्रोब था। इसे 5 सितंबर, 1977 को लॉन्च किया गया था। वायेजर 1 अंतरिक्ष शोध यान एक 815 कि.ग्रा वजन का मानव रहित यान है जिसे हमारे सौर मंडल और उसके बाहर की खोज के लिये प्रक्षेपित किया गया था। यह अभी भी (मार्च 2007) कार्य कर रहा है। यह नासा का सबसे लम्बा अभियान है। इस यान ने गुरू और शनि ग्रहों की यात्रा की है और यह यान इन महाकाय ग्रहों के चन्द्रमा की तस्वीरें भेजने वाला पहला शोध यान है। वायेजर 1 मानव निर्मित सबसे दूरी पर स्थित वस्तु है और यह पृथ्वी और सूर्य दोनों से दूर अनंत अंतरिक्ष में अभी भी गतिशील है। न्यू हॉराइज़स शोध यान जो इसके बाद छोड़ा गया था, वायेजर 1 की तुलना मे कम गति से चल रहा है इसलिये वह कभी भी वायेजर 1 को पीछे नहीं छोड़ पायेगा।
नवंबर 2005 में यह यान 17.2 किमी प्रति सेकंड की गति से यात्रा कर रहा था जो कि वायेजर 2 से 10% ज्यादा है। यह किसी विशेष तारे की ओर नहीं जा रहा है लेकिन आज से 40000 वर्ष बाद यह जिराफ़ तारामंडल (उर्फ़ केमीलोपार्डीस/Camelopardis तारामंडल) के ग्लीज़ 445 तारे से लगभग 1.6 प्रकाश वर्ष की दूरी से गुज़रेगा। इस काल में यह तारा स्वयं भी हमारी ओर तेज़ गति से आ रहा है और जब वॉयेजर प्रथम इस के पास से निकलेगा उस समय यह तारा हमारे सूरज से लगभग 3.45 प्रकाश वर्षों की दूरी पर होगा।

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