जबसे विज्ञान यह समझना शुरू कर दिया है कि हमारा अस्तित्व किस तरह से इस धरती पर आया है, तभी से उन्होंने इस धरती को बेहद करीब से जानने की कोशिश की है। विज्ञान की हमेशा यह जानने की कोशिश रही है कि हमारा धरती किस तरह से बना है और बनने के बाद सबसे पहले क्या हुआ था यहाँ।
Image: Present beautiful Earth
अभी तक खोगोल वैज्ञानिकों को पृथ्वी जैसा दूसरा कोई और ग्रह नहीं मिल पाया है इस पुरे ब्रह्माण्ड में। हालाकिं समय समय पर पृथ्वी जैसा मिलता जुलता ग्रह खोजे जाने की बातें आती रहती है। पृथ्वी हमारा सबसे बड़ा घर है जो हमारी हर जरूरतों को पूरा करता है, हम सभी इस के बारे में बिना सोचे ही अपनी रोजमर्रा की जिंदगी जीते आ रहे हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि हमारी यह धरती लगभग 4.5 अरब साल पुरानी है, इन अरबो साल का सफर धरती के लिए बहुत लंबा सफर रहा, इतने लंबे सफ़र के दौरान इसने अपने स्वरूप को कई बार बदला जिसके कारण आज सारे जीवो के लिए एक संपन्न ग्रह मौजूद हो सका है। आज जितने भी तरह के संसाधन हम इस्तेमाल करते हैं या यहां मौजूद हैं, उनके बनने की कहानी करोड़ों और अरबों साल पुरानी है। इतने लंबे सफ़र के दौरान धरती में कई बदलाव और मुश्किल हालात आयें, लेकिन हमारी पूरी सौरमंडल में यह एकमात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन संपन्न हो सका है, इसे एक तरह का चमत्कार ही कहा जा सकता है।
Image: First time Earth Formatting
शुरुआती दौर में जब पृथ्वी बनी तब लाखों सालों तक भयंकर तापमान से जलती रही, फिर धीरे-धीरे इसका तापमान सामान्य होने लगा तब अनेक वर्षों तक यहां पानी की बरसात लगातार होती रही। कभी इसने बर्फ से ढकी हुई हिम युग का सामना किया तो कभी ज्वालामुखी के विस्फोट से निकले दहकते शोलों और लावा का सामना किया। इतने सब होने के बावजूद धीरे-धीरे यह धरती अपने असली सुंदर स्वरुप में आई है जो आज हमारे सामने मौजूद है।
आज से करीब 4.5 करोड़ वर्ष पहले जब यह धरती अपने वजूद में आया तब केवल इसकी उम्र 50 करोड़ साल हुए थे, उस समय धरती अपना यह महान सफर को शुरू कर रही थी। आज वैज्ञानिक आधुनिक कंप्यूटर और सुपर कंप्यूटर की मदद से काफी हद तक सही अंदाजा लगा सकते हैं कि आज से करीब 4 अरब साल पहले यह ग्रह कैसी रही होगी।
आज से 4 अरब साल पहले धरती पर क्या था उसे आज यहाँ देखते हैं।
Image: 4.5 billion years ago Earth Formatting
आज से 4 अरब वर्ष पहले इस धरती पर किसी जीवन के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता था। शुरुआती दौर में पृथ्वी का वातावरण ऑक्सीजन और नाइट्रोजन से नहीं बना था, बल्कि यहां पर बड़े-बड़े ज्वालामुखियों के विस्फोट से निकले अनेकों गैसों के मिश्रण होने के कारण यहां का वातावरण काफी जहरीला था और पृथ्वी का एक दिन लगभग 6 घंटे का था, जिसमें दिन की रोशनी मात्र 3 घंटे ही रहती थी। यहां का दिन छोटा होने का मुख्य कारण था इसका चंद्रमा, जो पृथ्वी के काफी नजदीक था। चंद्रमा के आकार और उसकी ताकत ने पृथ्वी के समय को केवल 6 घंटे में ही समेट कर रखा हुआ था। उस समय पृथ्वी का नजारा कुछ ज्यादा खास नहीं थी क्योंकि हर जगह बंजर भूमि, चटाने और ज्वालामुखी से बहते हुये लाल लावा जगह जगह चरों तरफ फैले हुये थे।
पृथ्वी उस समय सौरमंडल में बिल्कुल नई हालात में थी इसलिए यहां पर लगातार आसमानों से चट्टानों और उल्कापिंडों की बरसात होती रहती थी। पृथ्वी पर आसमान से उल्कापिंडों की बरसात होने के साथ इसके सतह के नीचे भी काफी उथल-पुथल मची हुई थी, जिसके कारण भूकंप और ज्वालामुखी का विस्फोट भी जारी था। वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी पर पानी बड़े उल्कापिंड से आया था, जिसमें भारी मात्रा में पानी बर्फ के रूप में जमे हुए थे, जिसके कारण पानी यहां मौजूद हो सका। जगह-जगह पानी के विशाल भंडार महासागर के रूप में यहां मौजूद थे लेकिन आज के मुकाबले यह समुद्र की लहरें काफी बड़े कई किलोमीटर तक ऊंची उठा करती थी।
Image: 4 billion years ago Earth and Moon
आसमान का नजारा काफी हद तक आज के जैसा ही था लेकिन चांद का नजारा बिल्कुल ही अलग था जो काफी बड़ा और करीब था। जिसके कारण यहां की समुद्री लहरें काफी ऊंची कई किलोमीटर तक उठा करती थीं, दिन हो या रात चांद हमेशा सर के ऊपर ही दिखाई देती थी। 4 अरब साल पहले धरती और चांद की दूरी करीब 25 हजार किलोमीटर थी, जो आज के मुकाबले 10 गुना से भी ज्यादा करीब था। वैज्ञानिकों के अनुसार धरती से कोई मंगल जितना बड़ा ग्रह टकराया था जिस से चांद का जन्म हुआ था, जिसके कारण चांद 4 अरब साल पहले धरती के काफी करीब था, धीरे-धीरे चांद पृथ्वी से दूर होता चला गया जिसे आज हम देखते हैं, आज भी चांद पृथ्वी से काफी दूर होता जा रहा है, एक समय ऐसा आएगा कि चांद पृथ्वी से काफी दूर चला जाएगा और वह एक तारे की तरह टिमटिमाते हुए नजर आएगा तब पृथ्वी का एक दिन लगभग एक महीने जितना लम्बा हो जाएगा।
Image: Earth and Moon Formatting 4.5 billion years ago
4 अरब साल पहले जब चांद बना था उस समय चांद पर भी ज्वालामुखियों का विस्फोट और उल्कापिंडों का टकराव होता था। धीरे-धीरे पृथ्वी का वातावरण समय के साथ ठंडा होने लगा और चांद भी पृथ्वी से काफी दूर चला गया था, तब तक पृथ्वी का उम्र 50 करोड़ वर्ष और गुजर चुका था। इतने लंबे अंतराल के बाद पृथ्वी के आसमान पानी और मिश्रित गैसों के बादल से पूरी तरह ढक गया था, वातावरण में काफी उमस और गर्मी थी, चारो तरफ काली अँधेरी रात जैसा अँधेरा छा हुया था। फिर बारिस शुरु हुयी, जो हजारों वर्ष तक चलती रही, पृथ्वी का कुछ हिस्सा को छोड़कर बाकी सभी महासागर बन गए, जो धरती का एकमात्र सबसे विशाल महासागर था। वैज्ञानिकों के अनुसार सबसे पहले जीवन की शुरुआत उस विशाल महासागर तट के किनारे ही सूक्ष्म एक कोशिकीय जीव के रूप में हुई थी, जिन्हें धरती का सबसे पहला प्राणी या पूर्वज कहा जा सकता है।
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