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Monday 19 June 2017

इतिहास के सभी घटनाओं को देखा जा सकता है इस तरीके से

इंसानों की जिज्ञासा हमेशा यह बनी रही है कि वह समय यात्रा कर सकें और अपने पूर्वजों से भी मिल सके। समय मे पीछे जाकर अपने पूर्वजों से मिलना, उनके विचारों को प्रत्यक्ष रुप से जानना यह एक बहुत ही अविश्वसनीय घटना सी लगती है। लेकिन आने वाले समय में ऐसा कर पाना संभव हो सकता है। हम समय में पीछे जा कर अपने पसंदीदा महापुरुषों को देख सकते हैं।
Image: It is possible to see in the past

समय मे पीछे कैसे झांक सकते हैं, ये जानने से पहले भौतिकी के नियमो को सरल भाषा मे जानना होगा। आज के बड़े-बड़े टेलिस्कोप से सिर्फ दूर के सितारों, आकाशगंगाओं, ब्लैक होल को ही निहार सकते हैं। लेकिन अगर उससे भी अत्यधिक आधुनिक और बड़े टेलिस्कोप को बनाया जाये तो समय में पीछे देेेख सकते हैं। भूतकाल में जितने भी घटनाएं घटी हैं उन सभी को देख सकते हैं, महसूस कर सकते हैं और चाहे तो पृथ्वी कैसे बनी है
वह भी देख सकते हैं।
Image: Telescope viewing Galaxy

भौतिकी के नियमों के अनुसार भूतकाल के घटित घटनाओं को देखना संभव है, लेकिन ये कहा जाए कि हमसभी हर वक्त गुजरे हुए समय को ही देखते हैं तो यकीन नहीं करेंगे। लेकिन यह सच है कि हम गुजरे हुए वक्त को ही देखते हैं। चलिए पहले एक उदाहरण देखते हैं- बारिश के मौसम में अक्सर बिजली चमकने और बादल गरजने की आवाजें होती हैं। अक्सर यह महसूस किये होगे कि बिजली पहले चमकती है और बादल गरजने की आवाज थोड़ा बाद मे सुनाई देती है, जबकि बिजली चमकना और बादल को गर्जना एक साथ होती है। बहुतों को यह बात मालूम होगी कि प्रकाश की गति और आवाज की गति में काफी अंतर है, प्रकाश की गति लगभग 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकंड है जबकि ध्वनि केि गति 40.39 मि/सेकेण्ड है। दोनों घटनाएं एक साथ होने के बावजूद भी वे अपने अलग गति के कारण हमतक अलग-अलग समय में पहुंचते हैं। इसका मतलब कि हम गुजरे हुए समय में पैदा हुई आवाज और रोशनी को देख सुन रहे हैं। प्रकाश को भी एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में वक्त लगता है, हालांकि यह वक्त इतना कम है कि अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में इसे महसूस कर पाना नामुमकिन है, क्योंकि प्रकाश की स्पीड इस पूरे ब्रह्मांड में सबसे अधिक है।
Image: The speed of light is constant

3 लाख किलोमीटर प्रति सेकंड से गमन करने के बाद भी प्रकाश को लंबी और छोटी दूरी का सफर तय करने मे कुछ वक्त लगता है, चाहे उसे कमरे के एक कोने से दूसरे कोने में जाना हो या सूर्य से धरती पर आना हो या फिर ब्रह्मांड में उसे लंबी दूरी का सफर तय करना हो। जब हम कमरे मे जलते हुये बल्ब को देखते हैं तो वह तस्वीर 1 सेकंड के कुछ अरबवें हिस्से जितना पुराणी होती है, ठीक वैसे ही जो तस्वीर हम सूर्य का देखते हैं वह 8 मिनट 20 सेकेंड पुरानी छवि होती है और जब हम आकाश में टिमटिमाते तारों को देखते हैं तो वे हमसे हजारों-लाखों और करोड़ों वर्ष पुरानी छवि होती है। प्रकाश की गति जितनी है उतनी ही गति से हमारे देखने की क्षमता भी है, बिना प्रकाश के हम कुछ भी नहीं देख सकते हैं, जब किसी वस्तु से प्रकाश टकराकर वापस हमारी आंखों तक आती है तभी हम उसकी छवि को देख सकते हैं।
Image: Diameter Of Milky way

प्रकाश एक साल में जीतनी दूरी तय करता है उसे एक प्रकाश वर्ष कहते हैं। हबल टेलिस्कोप भी लाखों प्रकाश वर्ष दूर मौजूद तारों और अरबों प्रकाश वर्ष दूर पर मौजूद आकाशगंगाओं की तस्वीरें हमें उनके बीते हुए समय की झलक दिखलाती है। जो तस्वीरें टेलिस्कोप पर हम देखते हैं वे आज से हजारों, लाखों वर्ष पुरानी होती है, वे हमसे इतनी दूर है कि खुद प्रकाश को वहां से हम तक पहुंचने में अनेकों वर्ष लग जाते हैं और कुछ तो हमसे इतने ज्यादा दूर है कि अभी तक उनकी प्रकाश हम तक पहुंच भी नहीं पाई है। ये भी हो सकता है कि जिन सितारों को हम देख रहे हैं वे आज से लाखों वर्ष पहले ही खत्म हो गये हों और उनकी पुरानी तस्वीर हम तक पहुच रही हो।
भौतिकी के नियम अनुसार इस ब्रह्मांड के कोई भी वस्तु या पदार्थ को पूरी तरह से नष्ट नहीं किया जा सकता है वह किस न किसी दूसरे रूप में मौजूद ही रहेगा, ठीक यही नियम किसी घटित समय के साथ भी होता है।

Image: All events are being recorded in Universe

इस ब्रह्माण्ड मे जितनी भी घटनाएं घटित हो रही हैं वे सभी इस ब्रह्मांड के समय मे रिकॉर्ड होते जा रहे हैं, जो घटना जितना ही पुराना होता जायेगा उसका रिकॉर्ड घटना स्थल से उतना ही दूर होता जायेगा। सोचिये की अगर सूर्य पर कोई छोटी विस्फोट होती है तो वह उसका घटना स्थल हुआ और पृथ्वी पर हम उसे 8 मिनट 20 सेकेण्ड बाद देख रहे हैं, मतलब वह घटना उतनी पुरानी हो गई घटना स्थल से हम तक पहुचने मे। ठीक यही सिद्धांत पृथ्वी पर घटित समय के साथ भी लागू होंगे, इन्ही रिकॉर्ड के अनुसार हम अपने पसंद के महापुरषों को देख सकते हैं।
आज से 70 साल पहले भारत को आजादी मिली थी, अगर हम पृथ्वी से 70 प्रकाश वर्ष दूर जाकर किसी बड़े टेलिस्कोप से देखेंगे तो हमें भारत की आजादी की वही तस्वीर दिखाई देगी जो आज से 70 साल पहले घटित हुई थी।
Image: 1947, Great History Of India

इन घटनाओं को देखने के लिए तीन चीजें चाहिए, पहला- एक ऐसा टेलिस्कोप जिससे हजारों प्रकाश वर्ष दूर होने के बावजूद भी धरती के छोटे-छोटे वस्तुओं को साफ-साफ देख सकें यानी हबल टेलिस्कोप से भी हजारों गुना शक्तिशाली। दूसरा - एक ऐसा डिवाइस जो टेलिस्कोप से ली गई तस्वीरों को सही समय में धरती पर भेज सके, टेलिस्कोप चाहे कितना भी दूर हो लेकिन इससे भेजी गई तस्वीरों को पृथ्वी पर आने में ज्यादा वक्त ना लगे। और तीसरा - एक ऐसा अंतरिक्षयान जो हजारों प्रकाश वर्ष की दूरी को बेहद कम समय में तय कर सके, जिसके मदद से बड़े टेलिस्कोप को अंतरिक्ष में बहुत कम समय में ले जाने में आसानी हो।
Image: Future Telescope

अब अगर महाभारत की लड़ाई, पैगंबर मोहम्मद साहब द्वारा किये गयें अद्भुत कारनामें या फिर ईसा मसीह को दुबारा से जिन्दा होने की घटनाओं को देखना चाहते हैं, तो सही समय की गणना करके उस विशाल टेलेस्कोप को पृथ्वी से उतने प्रकाश वर्ष दूर ले जाना होगा। समय की सही गणना और टेलेस्कोप को सही दुरी पर स्थापित करने के बाद उन सभी घटनाओं को देख सकेंगे जिन्हें देखना चाहेंगे।
आज का विज्ञान अभी तक इतना विकसित नहीं हो पाया है कि इन तीनों चीजों को बना सके, हो सकता है कि आने वाले कुछ सौ सालों बाद विज्ञान इतना तरक्की कर जाए की इन चीजों को बना ले।
Image: voyager 1 crossed the Solar system

विज्ञान आए दिन नए-नए खोजें करती रहती है, जब इंसान पहली बार पहिए का खोज किया था तब उसने यह नहीं सोचा था कि कभी वह आसमान में भी उड़ सकता है और अंतरिक्ष का सफर कर सकता है, लेकिन अपनी कल्पना शक्ति को बेहतर बनाया और इंसान के कदम चाँद तक पहुँच गये। इंसानों द्वारा बनाया गया पहला कृत्रिम उपग्रह वायजर 1 जो सौरमंडल के पार चला गया और आने वाले कुछ हजार सालों बाद वायजर 1 हमारा नजदीकी सितारा प्रोक्सिमा सेंटोरी (Proxima Centaur) के पास पहुच जायेगा जो पृथ्वी से 4.242 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। इसी तरह से विज्ञान अपना कार्य जारी रखता है तो आने वाले समय मे इतिहास को दुबारा से देखा जा सकेगा।

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