पृथ्वी की ओर बढ़ते हुए एक और नए उल्कापिंड का खोज किया गया, जो आने वाले समय में पृथ्वी के लिए खतरा साबित हो सकता है।
Image: Asteroids
चेक अकादमी ऑफ साइंसेज के खगोलविदों की एक टीम ने कुछ दिनों पहले 'तारीद' नामक उल्कापिंड के रास्ते का अध्ययन करने के बाद इस निष्कर्ष की घोषणा की। उल्का पिंड जब पृथ्वी पर गिरते है तब वें मिश्रित पदार्थों का बौछार पैदा करते है। आमतौर पर उल्का पिंड का गिरना पृथ्वी पर अक्टूबर और नवंबर के बीच ज्यादातर देखे जाते हैं। छोटे उल्का पिंड का पृथ्वी पर गिरना एक सामान्य घटना है, जब एक छोटा उल्कापिंड पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है तब ग्रह के वायुमंडल में घर्षण के द्वारा वाष्पीकृत हो जाता है, जिसे 'पुछल तारा या शूटिंग स्टार' कहा जाता है।
यह उल्कापिंड अधिकांश बेहद छोटे होते हैं जिससे पृथ्वी को कोई खतरा नहीं होता है। लेकिन चेक खगोलविदों ने नये उल्कापिंड का पता लगाया है, जिसका व्यास 200 और 300 मीटर है और यह पृथ्वी से काफी दूर है, उन्होंने इसके सही दूरी के बारे में खुलासा नहीं किया है। ये क्षुद्रग्रह पृथ्वी से टकराने के रास्ते मे नही हैं, लेकिन उनकी पहचान और अध्ययन से पता चलता है कि इसके रास्ते मे आने वाले छोटे क्षुद्रग्रह टकराकर इसकी रास्ता पृथ्वी की तरफ मोड़ सकते हैं।
हालांकि, उन्होंने कहाँ की यह ध्यान देने योग्य है और यह खोज पृथ्वी के खतरे को लेकर कोई धमकी नही है। यद्यपि अंतरिक्ष से आने वाले महाद्वीपीय क्षति और क्षेत्रीय विपदा की संभावना खतरनाक होती है, हालांकि चेक टीम शोध आधार के निष्कर्ष निकलने के बाद अधिक अवलोकन करना आवश्यक है।
Image: nasa space center
नासा नियमित रूप से पृथ्वी के साथ एक विशाल ब्रह्मांडीय कण की संभावित टक्कर और किसी भी संभावित प्रभाव के जोखिम का आकलन करने का काम करता रहता है। इसे मॉनिटरिंग सिस्टम द्वारा संचालित किया जाता है, जिसे सेंट्री कहा जाता है, जो नियमित रूप से क्षुद्रग्रहों को स्कैन करता है और अगले 100 वर्षों तक इसके प्रभाव की संभावना निर्धारित करता है। यह जेपीएल स्मॉल-बॉडी डाटाबेस ब्राउज़र में उन चट्टानी निकायों (उल्कापिंडों, क्षुद्रग्रहों, धूमकेतुओं) को स्वतंत्र रूप से सूचीबद्ध करता है।
No comments:
Post a Comment