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Friday 16 June 2017

प्राचीन भारत के 5 अद्भुत आविष्कार जिन्हें विदेशियों ने अपने नाम कर लिया


सदियों पहले भारत पूरे दुनिया का विश्वगुरु था, इसे सोने की चिड़िया कहा जाता था। भारत के बिना अपने धर्म की कल्पना भी नही की जा सकती है और नहीं विज्ञान की कल्पना की जा सकती है। भारत में ऐसे कई प्राचीन ग्रंथ हैं जो अपने आप में कई विज्ञान समेटे हुए हैं, भारत के ऋषि मुनियों ने कई ऐसे खोजें और जानकारी पूरी दुनिया को दी है जिनके कारण ही आज आधुनिक विज्ञान का अस्तित्व है। थॉमस एडिसन ने भी अपनी लिखी गई किताब में कहा है कि उन्होंने बिजली का आविष्कार ऋषि अगस्त के ग्रंथ अगस्त्य सहिंता को पढ़ने के बाद ही कर पाए। शून्य की खोज, प्राचीन शल्य चिकित्सा, बीजगणित, परमाणु, ब्रह्माण्ड से जुड़े अनेकों रहस्यों का खोज सबसे पहले भारत में ही किया गया था। हालांकि भारत में किए गए कई खोजों को या तो भुला दिया गया या फिर विदेशियों ने उस पर अपने नाम का मोहर लगा दिया है। यहां पर ऐसे ही 5 खास आविष्कारों के बारे में बताए गए हैं जो सबसे पहले भारत में ही किए गए थे।
बटन
Image: button Mohanjodar

हालांकि बटन को ऐसे देखने पर एक मामूली सी चीज लगती है, लेकिन इस की महत्वता कितनी है वह सभी को पता है। सबसे खास बात यह है कि प्राचीन समय से लेकर आज तक बटन में कोई खास बदलाव नहीं किए गए हैं। मोहनजोदड़ो की खुदाई से यह बात पूरी दुनिया को सिद्ध करती है की बटन का अविष्कार सबसे पहले भारत में किया गया था। मोहनजोदड़ो की खंडरो के खुदाई के दौरान ऐसे बहुत से पहनने वाले कपड़े बेहद ही खराब हालत में मिले जिनमें पत्थरों के बटन लगे हुए थे। मोहनजोदड़ो एक बहुत ही प्राचीन भारतीय सभ्यता थी जो सिंधु नदी के तट पर मौजूद हुआ करती थी और इस का अस्तित्व लगभग आज से 2500 वर्ष से लेकर 3000 वर्ष पुराना है।
पहिया
Image: Mohanajodado Toy


पहिया का आविष्कार मानव सभ्यता के इतिहास का महत्वपूर्ण खोजों में से एक माना जाता है पहिए के आविष्कार होने से इंसानों का बहुत सा काम आसान हो गया था। महाभारत का युद्ध में रथों के उपयोग का वर्णन है, जिसमें पहिए लगे हुआ करते थे। महाभारत के कथा में वर्णन है कि जब अभिमन्यु को चारों ओर से घेर लिया गया था, और उसे निहत्था कर दिया गया तब उसने रथ के पहिया से लड़ाई जारी रखी थी। प्राचीन लेखो और ग्रंथों से यह सिद्ध होता है कि पहिए का आविष्कार भारत में लगभग 5000 से 8000 वर्ष पूर्व ही हो गया था। पहिए का आविष्कार मानव विकास में एक बेहद ही महत्वपूर्ण उपलब्धि है, इसी के आविष्कार के बाद बैलगाड़ी, साईकिल, कार और हवाई जहाज तक का सफर तय हुआ। पश्चिमी देशों के वैज्ञानिक पहिए का आविष्कार का श्रेय इराक को देते हैं, जबकि इराक एक रेगिस्तानी देश है और वहां के लोग 19वीं सदी तक ऊँटो की सवारी करते रहे। महाभारत के अलावा आज से लगभग 2500 और 3000 वर्ष पूर्व विश्व के सबसे प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेषों से प्राप्त खिलौना गाड़ी, भारत के राष्ट्रीय संग्रहालय में प्रमाण स्वरूप रखी हुई है, जिसमें पहिए लगे हुए हैं।
शल्य चिकित्सा और प्लास्टिक सर्जरी
Image: susruta surgeon of ancient india

प्लास्टिक सर्जरी के आविष्कार से दुनिया में सुंदर देखने के लिए एक नई क्रांति आ गई, इसके अलावा प्लास्टिक सर्जरी से और भी कई अविकसित अंगों और बीमारियों को ठीक किया जाने लगा। आज के वैज्ञानिकों का मानना है कि पलास्टिक सर्जरी आधुनिक विज्ञान की देन है, लेकिन भारत में सुश्रुत को पहला शल्य चिकित्सक माना जाता है। आज से करीब 3000 वर्ष पहले सुश्रुत ऐसे अपंग लोगों को शल्य चिकित्सा और प्लास्टिक सर्जरी के माध्यम से ठीक करते थे, जो किसी घटना के कारण अपंग या विकलांग और जन्मजात किसी बीमारी का शिकार हुए रहते थे। सुश्रुत ने 1000 ई० पु० ही अपने समय के स्वास्थ्य वैज्ञानिकों के साथ प्रसव, मोतियाबिंद, कृत्रिम अंग लगाना, पथरी का इलाज और प्लास्टिक सर्जरी जैसे कई तरह के जटिल चिकित्सा के सिद्धांत प्रतिपादित किए थे।
अस्त्र - शस्त्र, हथियार
Image: Nuclear weapons in ancient India

तीर धनुष, भाला, तलवार आदि जैसे हथियारों का आविष्कार भारत में हुए ही हैं, इसके अलावा वेद और पुराणों में आग्नेय अस्त्र और ब्रम्हास्त्र जैसे संहारक अस्त्रों का जिक्र है। आधुनिक समय में परमाणु हथियार का जनक जे रोबर्ट ओप्पेंहैमेर (J Robert Oppenheimer) ने गीता और महाभारत का गहन अध्ययन किया। उन्होंने महाभारत में बताए गए ब्रह्मास्त्र के संहारक क्षमताओं पर शोध किया और अपने मिशन का नाम दिया 'ट्रिनिटी'। रॉबर्ट के नेतृत्व में 1939 और 1945 के बीच वैज्ञानिकों के एक टीम ने काम किया और 16 जुलाई 1945 को पहला परमाणु परीक्षण किया गया। परमाणु सिद्धांत और जनक जॉन डाल्टन को माना जाता है, लेकिन उनसे भी 900 वर्ष पहले ऋषि कणाद ने वेदों में लिखे शुत्रों के आधार पर परमाणु सिद्धांत का प्रतिपादन किया था। भारतीय इतिहास में ऋषि कणाद को परमाणु का जनक माना जाता है, उन्होंने बताया था कि द्रव्य के परमाणु होते हैं। विख्यात इतिहासकार टी एन कॉलेबोर्क अपनी किताब में लिखते हैं कि एक समय ऐसा था जब अनु शास्त्र में आचार्य कणाद और दूसरे भारतीय वैज्ञानिक यूरोपीय वैज्ञानिकों की तुलना में ज्यादा आगे थे।
विमान
Image: Ancient Indian Plane

पूरी दुनिया यह बात जाती है कि विमान का आविष्कार राइट ब्रदर्स ने किया, लेकिन अगर भारतीय इतिहास को पलट कर देखा जाए तो इसका श्रेय भारत को जाता है। आधुनिक विज्ञान की दृष्टि से देखा जाए तो आज के जो विमान है उसका खोज राइट ब्रदर्स की थी। लेकिन उनसे हजारों वर्ष पूर्व महर्षि भारद्वाज ने विमान शास्त्र लिखा था जिसमें हवाई जहाज बनाने का विधि का वर्णन मिलता है। महर्षि भारद्वाज द्वारा लिखित 'वैमानिक शास्त्र' मे एक उड़ने वाला यंत्र यानी विमानों के कई प्रकार से वर्णन किया गया है। इसके अलावा हवाई युद्ध के नियम और प्रकार भी बताए गए थे, उन्होंने विस्तार से लिखा है कि गोदा एक ऐसा विमान था जो अदृश्य हो सकता था। स्कन्द पुराण के खंड 3 अध्याय 23 में उल्लेख मिलता है की ऋषि कर्दम ने अपनी पत्नी के लिए एक विमान की रचना की थी, जिसके द्वारा आकाश मार्ग से कहीं भी आया जाया जा सकता था, रामायण में भी पुष्पक विमान का उल्लेख मिलता है।

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