हम हर दिन अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कुछ-न-कुछ खरीदते रहते हैं। वस्तुओं को खरीदने के लिए हम दुकानदार को पैसे देते हैं और बदले में दुकानदार हमें मांगी हुई वस्तु देता है। पुराने जमाने में ऐसा नहीं था, प्राचीन समय मे लोग 'वस्तु विनिमय (Bartering)' प्रक्रिया से वस्तुओं का लेनदेन करते थे। इसमे सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि बेचने वाले का मत और खरीदने वाले का मत एक होना चाहिए।
वस्तु विनिमय का एक उदाहरण :- "मान लिया जाय कि आपके पास 2 किलो गेहूं है, और आप चावल खरीदना चाहते हैं, तो बाजार में सबसे पहले आपको चावला वाले के पास जाना होगा। उससे पूछना होगा कि क्या वह गेहूं के बदले 2 किलो चावल देगा अगर वह ऐसा करता है तो ठीक है, नहीं करने के बाद आपको दूसरे के पास जाना होगा। इस तरह से घूम घूम करके पता लगाते रहना होगा कि बाजार में कौन गेहूं के बदले चावल दे रहा है।"
Image: Bartering marketing in ancient period
वस्तु-विनिमय प्रक्रिया एक बहुत ही जटिल प्रणाली थी, इसलिये समय के साथ लेनदेन की प्रक्रिया को आसान करने के लिए सोने, चांदी और तांबे के सिक्कों का प्रचलन किया गया। धीरे-धीरे विकास स्तर बढ़ने के साथ पुराने सिक्कों के बदले नये सिक्कों और कागज के नोटों का इस्तेमाल किया जाने लगा। कागज से बने पैसों को हम नोट भी कहते है।
भारत मे नोटों की छपाई कहाँ और कैसे की जाती है :- भारत में नोटों को छापने का काम भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और सिक्कों को ढालने का काम भारत सरकार करती है। सबसे पहले वाटर मार्क वालें नोट 1861 में छापा गया था। भारतीय नोटों पर हिंदी और उर्दू के अलावा 15 अन्य भाषाओं का इस्तेमाल होता है। भारत का पैसा हो या अमेरिकी डॉलर ये सभी कपास के कागज से बनते हैं।
Image: Indian currency printing press
कपास से इसलिए बनाया जाते हैं क्योंकि यह कागज की तुलना में ज्यादा मुश्किल झेल सकती हैं। कपास की ब्लीचिंग और धुलाई करने के बाद उस की लुगदी बनाई जाती है। पेपर मशीन उस लुगदी को कागज की लंबी सीट में बदल देती है, इस दौरान कागज पर वाटर मार्क जैसे कई सुरक्षा विशेषताएं भी डाले जाते हैं। इसके बाद नोटों को खास रंगों से छपाई होती है, फिर उसपर चमकीली स्याही से संख्या मुद्रित की जाती है। हालांकि इसका असली विधि बेहद गुप्त है। भारत में चार बैंक नोट प्रेस, चार टकसाल और एक पेपर मिल है, ये नोट प्रेस मध्यप्रदेश के देवास, नासिक, सालबोनी और मैसूर में है।
नोट छापने के कागज और स्याही आपूर्ति :- नोट को छापने के लिए जिस कागज का इस्तेमाल होता है उस कागज को महाराष्ट्र के करेंसी नोट प्रेस और अधिकांश मध्य प्रदेश के होशंगाबाद पेपर मिल से होता है। इसके अलावा चार अन्य देशों से भी मंगाया जाता है, जो है फ्रांस की अर्जो विगिज, स्वीडन का गेन, अमेरिका पोर्टल और पेपर फैब्रिक्स ल्यूसेंटल।
Image: Important ink
नोट छापने के लिए जिस स्याही का प्रयोग होता है उसको मध्यप्रदेश के देवास बैंक नोट प्रेस में बनाया जाता है और नोट के उभरी हुई छपाई वाली स्याही सिक्किम में स्थित स्विस फर्म की यूनिट सिक्पा में तैयार की जाती है।
Image: Security features of indian currency
नोट छपाई के दौरान एक खास सुरक्षा विशेषता को भी डाला जाता है, जिससे अगर कोई इस नोट को छपाई मशीन (Printing Machine) से दूसरी नकल बनाने की कोशिश करता है, तो मशीन गलत का संदेश देेकेर इसे छपाई नहीं करता। आपको यह जानकर रोचक लगेगा कि भारत के अलावा 8 देशों की मुद्राओं को भी रुपया कहा जाता है।
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