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Saturday 7 October 2017

कुछ सपने भविष्य की घटना को पहले ही दिखा देतें हैं, जानिए सपनो से जुड़ी रोचक और अद्भुत बातें


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इंसान अपने पूरे जीवन काल में लFगभग 25 साल सोता है और इन्ही 25 सालों में वह लगभग 6 साल जितनी सपने देखता है। जब आप सपने में होते हैं तो आपका दिमाग सपने में ना समय को देख पाता है और ना ही कुछ भी लिखा पढ़ पाता है। सपने में यदि किसी घड़ी को देखते हैं तो घड़ी की सुई नहीं दिखेगी जिससे समय का पता नहीं चलता है। 'लुसिड ड्रीमिंग' नाम की एक तकनीक है जिसमें कुछ खास लोग अपने सपनों को अपने तरह से आकार दे सकते हैं। यानि की वो अपनी मर्जी से सपनों में जैसा चाहे वैसा कर सकते हैं। जैसे कि वे जहां जाना चाहें दुनिया में वहां जा सकते हैं या चाहे जितना ऊँची छलांग लगा सकते हैं या वे उड़ना चाहे तो उड़ सकतें हैं।
हमारी दुनियां में कुछ महान आविष्कार या फिर कुछ महान आइडियाज लोगों के सपनों में भी आए हैं। जैसे लैरी पेज का गूगल का आईडिया सपने में आया था, टेस्ला को एसी करंट का आईडिया सपने में आया था, और सिलाई मशीन, पीरियॉडिक टेबल इन सब का विचार लोगों के सपने में आया था और फिर इनका अविष्कार हुआ।

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कुछ केसेज में सोते वक्त ऐसा होता है जिसमें कि हमारा मस्तिष्क हमें सपनों के तौर पर जो हमारे साथ भविष्य में होने वाला होता है वह दिखा देता है। जिनके कुछ मुख्य उदाहरण हैं - जब वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर अटैक हुआ था तो कुछ लोगों को वह सपने में पहले ही दिख गया था। अब्राहम लिंकन को अपनी हत्या का अंदेशा सपने में ही पहले ही मिल गया था।
बहुत से लोगों ने ऐसा अनुभव किया होगा की जब सपना आता है तो उसमें वे कुछ कर नहीं पाते। चाहे आप किसी चीज से दूर भागने की कितनी भी कोशिश करें पर आप उससे दूर नहीं जा पाते। ऐसा होता है तब जब हमारा दिमाग और शरीर दोनों में तालमेल नहीं बन पाता है, दिमाग नहीं सोया होता जबकि शरीर सो चुका होता है। 'डाइमिथाइल ट्रीप्टामाइन' नामक एक केमिकल है जो सोते वक्त हमारा दिमाग इसे छोड़ता है जिससे हमें सपने आते हैं। माना जाता है कि जो लोग ज्यादा क्रिएटिव होते हैं उन्हें ज्यादा सपने आते हैं और सपने देखकर लोगों ने आविष्कार तक किए हैं।

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ऐसा कोई इंसान नहीं है जिसे सपने नहीं आते सपने सभी को रोजाना आते हैं किसी को याद रहते हैं और कुछ इसे भूल जातें हैं। एक रात में किसी इंसान को लगभग 3 से 5 सपने आ सकते हैं, जानवरों में भी यह पाया गया है जिन्हें सपने आते हैं। जो लोग बचपन से अंधे नहीं होते हैं उन्हें सपनों में चीजें दिखाई देता है, पर जो लोग बचपन से अंधे होते हैं उनके सपनों में दिखाई कुछ नहीं देता उनकी बाकि इंद्रियां सपनों में काम करती है, जैसे कि छूने का एहसास या सुनने का एहसास उन्हें सपनों में होता है।
जिस इंसान को जीवन में एक बार देख ले चाहे उसे पूरे ध्यान से देखे या न देखे वह भी सपने में आ सकते हैं। सपने में वही लोग आते हैं जिन्हें हमने कभी न कभी देखा होता है, चाहे टेलीविजन पर ही क्यों ना। क्योंकि दिमाग उन्ही चेहरों को सपने में लाता है जिसे हम कभी देखे रहते हैं। इसलिए अधिकतर सपने में जान पहचान वाले लोग ही दिखाई देते हैं। सपनो के अध्ययन से पता चला है कि ज्यादातर लोगों को अच्छे नहीं बल्कि बुरे सपने आते हैं। लगभग 70% सपने बुरे होते हैं और केवल 30% सपने लोगों को सुकून देते हैं। हर व्यक्ति हर रात लगभग 2 घंटे सपने देखता है। पुरषों के सपनों में अधिकतर पुरुष ही नजर आते हैं और पुरुष ज्यादातर सपने गुस्से वाला देखतें हैं। वही महिलाओं के सपनों में पुरुष और महिलाएं दोनों बराबर रुप से आते हैं।

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TV देखने का भी सपनों पर काफी प्रभाव पड़ता है। 1915 से 1960 के बीच अध्ययन के अनुसार पहले लगभग लोग 12% ब्लैक एंड वाइट सपने देखा करते थे क्योंकि लोग ब्लैक एंड व्हाइट टेलीविजन देखते थे। लेकिन 1960 के बाद कलर टेलीविजन के आने से यह आंकड़ा घटकर 4% पर आ गया है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि जो हमारे वातावरण में सोते वक्त चल रहा होता है वह सपनों में भी आ जाता है। जैसे कि अगर आप कमरे में सो रहे हैं और TV पर लड़ाई वाली दृश्य चल रही है तो सपने में भी लड़ाई झगड़े वाली दृश्य दिखने लगता है। सपने जैसा दिखते हैं वैसा नहीं होते हैं। सपने सांकेतिक भाषा में बात करते हैं वह आपको दिखा कुछ और रहे होते हैं पर उसका मतलब कुछ और होता है। जब आप सपने देख रहे होते हैं तो आपका मस्तिष्क कठिन प्रश्नों और प्रॉब्लम्स को हल करने की शक्ति को बढ़ाता है। छोटे बच्चे जब तक 3 साल के नहीं होते तब तक वे सपनों में अपने आप को नहीं देख पाते। उनके सपनों में बस आवाजें और छूने का एहसास होते हैं।

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