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Monday 27 March 2017

भारत के ऐसे अजीबो गरीब अफवाहें।

कहते हैं कि झूठ के पांव नहीं होते, लेकिन यदि उसे आश्चर्य की बैसाखियों का सहारा मिल जाये तो वह सच के मुकाबले सौ गुनी रफ्तार से भागकर अफ़वाह बन जाती है। इनका प्रचार - प्रसार करने में इनका कोई जवाब नहीं । जो भी इनके बारे में सुनता है, वह दस को सुनाये बिना नहीं रहता है। दस से सौ, फिर हजार, बाद में दस हजार -- यह दस गुणित होने का सील सिला चलता ही जाता है और अपनी आश्चर्य की डोर में लपेटता ही चला जाता है ।

ऐसी इन आश्चर्यचकित करने वाली अफवाहों में एक अफवाह कुच्छ साल पहले कोलकाता शहर में फैली। उस अफवाह से ग्रस्त कोलकतावासी नेताजी इनडोर स्टेडियम की ओर भागे जा रहे थे। इस ओर जाने वाली मेट्रो ट्रेनों, बसों व ट्रामों में भारी भीड़ थी। स्टेडियम से बहार सुबह से ही हजारो की भीड़ इकट्ठी थी। ये सब स्टेडियम में कोई खेल देखने नहीं आये थे। लोग तो स्टेडियम में चीनी वस्तुओं की ग्रैंड सेल से अपना मनपसंद सामान खरीदने आये थे। वहां आया हर व्यक्ति सेल में सस्ते दामों में साईकिल, दुपहिया वाहन, वाशिंग मशीन, मिक्सर ग्राइंडर, कंप्यूटर हार्डवेयर और भी न जाने क्या क्या मिलने की चर्चा कर रहे थे।
लेकिन स्टेडियम खाली पड़ा था । ग्रैंड चाइनीज सेल तो जाने दे, कोई छोटी मोटी सेल भी नहीं लगी थी। दरअसल इतने सारे लोगों की भीड़ बस एक अफवाह की कारनामा थी । कुच्छ दिनों से पूरे कोलकाता में बस एक ही चर्चा थी -- तुमने कुच्छ सुना, चीनी चीजों की ग्रैंड सेल लग रही है।। बस क्या था, इस अफवाह ने लोगो को ऐसा भरमाया की सोमवार के कामकाजी दिन के बावजूद लोग दफ्तरों से छुट्टी लेकर स्टेडियम की ओर दौड़ पड़े। पुलिस को भीड़ हटाने में काफी मेहनत करनी पड़ी

भारत के आजादी के थोड़े ही समय बाद 1948 ई० में कुच्छ पुच्छल तारे और ज़मीन पर हर जगह सांप दिखाई देने की अफवाह उडी। राष्ट्रपिता बापू की हत्या और कश्मीर के कबायली युद्ध ने इस अफवाह को और भी बल दिया। इसे रोचक बनाने वाली और भी कई बातें इसमें जुड़ीं हैं। जैसे की टुबरी वाला नाम का एक सात फिट लंबा पागल बंगाली सपेरा, बंगाल विभाजन के विरोध में अपनी बिन लेकर देश भर में घूम रहा है और उसकी बिन के ही असर से सारे सांप अपने बिल छोड़कर खुले में आ रहे हैं।

आर्थिक संकटो से मशहूर होने वाला वर्ष 1956 के कुच्छ अफवाहों के लिए भी जाना जाता है। इस साल कुरुक्षेत्र में एक सिख महिला ने रात में अपनी झोपड़ी के सामने कौरव - पांडव युद्ध होते हुए देखा। उसने वह जगह भी दिखाई , जहाँ उसने कर्ण और अर्जुन को युद्ध करते हुए देखा था। इस अफवाह का बहुत असर हुआ। बड़ी संख्या में लोग कुरुक्षेत्र आने लगे। इनमे से कितने ही लोगों ने वहाँ रात में युद्ध की ध्वनियाँ सुनने का दावा किया। इसी साल ग्वालियर में अनेकों ने घोड़े पर सवार रानी लक्ष्मीबाई की आत्मा को देखने का दावा किया। क्या इन दो-तीन सौ सालों में किसी और ने इनकी आत्मा को नहीं देखा था। इसी साल ही क्यो दिखी। सोचने वाली बात है।
भारत - चीन युद्ध का साल 1962 कुच्छ अफवाहों का भी साल रहा। इस साल अनेक अफवाहों में अफवाह यह भी था कि उत्तर - पूर्व में लड़ने वाली भारतीय सेना के मोर्चा कमांडर जनरल कौल को गिरफ्तार कर लिया गया है। यह अफवाह इस कदर फैली की इसका खंडन उस समय के राष्ट्रपति डॉ० राधाकृष्णन को देशवासियों से स्वयं करना पड़ा।
वर्ष 1964 एवं 1971 यानि की पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध के ये वर्ष कई अफवाहों के भी वर्ष रहे। इन अफवाहों के कारण उन दिनों काफी भय एवं तनाव बढ़ा। आपातकाल के दौर में स्कूली बच्चों की जबरन नसबंदी की अफवाह खूब जोर शोर से फैली। इससे देश भर में भारी आक्रोश बढ़ा था।

वर्ष 1978 ई० में मुम्बई के जसलोक अस्पताल में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के निधन की अफवाह में संसद को भी अपने लपेट में ले लिया। इस अफवाह का आलम यह था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने भारी हृदय से संसद को यह दुखद सूचना देते हुए उन्हें श्रद्धांजलि भी अर्पित कर डाली। वर्ष 19890 ई० का दसक अफवाहों की दृष्टि से काफी उर्वर रहा। इस वर्ष सबसे बड़ी अफवाह उड़नतश्तरी के देखे जाने की रही ।

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