मुझे ये कहना बहुत अच्छा लगेगा कि कुत्ते इंसान के बहुत अच्छे दोस्त होते हैं। आप उनको जितना प्रेम करेंगे वो आपको उससे अधिक करेंगे। कभी - कभी ये वफ़ादारी के मिशाल कायम कर जाते हैं, कुच्छ तो ऐसे भी हैं जो अपने मालिक के जान बचाने के लिए अपनी जान तक दे दिए। ऐसे ही 7 वफ़ादार कुत्तो की सच्ची घटना आज मैं आपके पास लेकर आया हूँ, जो आपकी दिल को छू लेंगी।
1. बेनाम कुत्ता जिसने अपनी जान देकर मालिक की जान बचाई।
1. बेनाम कुत्ता जिसने अपनी जान देकर मालिक की जान बचाई।
कज़ाख़स्तान के करगंडा शहर में एक आदमी शराब पीकर आत्महत्या करने के लिए रेलवे ट्रैक पर लेट गया। उसका पालतू कुत्ता ने खतरे की गंभीरता को समझ गया और उसने अपने मालिक को रेलवे ट्रैक से हटाने के लिए धक्का लगाने लगा और खीचने लगा। वह एक बहादुर कुत्ता था उसने लगातार कोशिश जारी रखी। तबतक ट्रेन भी नजदीक पहुचने वाला था, और ट्रेन का ड्राइवर ने भी कुत्ता और उसका मालिक को दूर से देख लिया था, उसने फ़ौरन आपातकालीन ब्रेक लगाई, लेकिन ट्रेन का रफ़्तार ज्यादा तेज होने के कारण रुका नहीं। उधर कुत्ता ने भी अपने मालिक को रेलवे ट्रैक से हटाने में कामयाब हो गया। लेकिन तबतक बहुत देर हो गयी थी कुत्ता ट्रैक से जल्दी से भाग नहीं पाया और उसका एक पैर ट्रेन के पहिए में आ गया। इस तरह से उस कुत्ते ने निः स्वार्थ भाव से अपने मालिक की जान बचाकर दुनिया को अलविदा कर गया।
2. " कैपिटन " अपने मालिक के कब्र पर लेटा हुआ।
अर्जेंटीना, 2006 में ' मिगुएल गूजमैन ' की मृत्यु एक दुर्घटना में हो गयी। उनके परिवार के लोगों ने उन्हें कब्र में दफ़ना दिया। उनका वफ़ादार कुत्ता कैपिटन घर से भागकर उनकी कब्र पर लेट गया। परिवार के लोगों ने जब घर आकर कैपिटन को ढूंढा वह नहीं मिला, बहुत खोजने पर आख़िरकार कैपिटन मिगुएल की कब्र पर लेटा हुआ मिला। परिवार के लोगों ने बहुत कोशिश की उसे घर वापस लाने की मगर कैपिटन घर वापस नहीं लौटा। इस तरह से कैपिटन हमेशा उन्ही के कब्र के पास रहने लगा और आखिरकार कैपिटन भी 2015 में अपने मालिक के कब्र के पास इस दुनियां को छोड़ दिया।
3. " फिडो " 14 वर्ष तक अपने मालिक का इंतेजार किया।
यह इटालियन सड़क , फिडो की अपनी मालिक के प्रति अटूट भक्ति और वफ़ादारी के लिए जाना जाता है। 30 दिसंबर 1943, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान " बोर्गो सैन लोरेंजो " पर एक हवाई हमला हुआ, वहां पर फिडो के मालिक रोजाना बस से काम पे जाते थे, उस दिन उस हवाई हमला में फिडो के मालिक शिकार हो गए। फिडो हमेशा की तरह बस - स्टॉप पर अपने मालिक को लेने गया, काफी इंतेजार के बाद भी फिडो के मालिक नहीं लौटे । उस दिन वह निराशा के साथ वापस घर चला गया । फिडो अगले दिन भी स्टॉप पर गया वे नहीं लौटे। अब तो फिडो हर दिन बस - स्टॉप पर जाकर अपने मालिक का इंतेजार करने लगा, वह बस से उत्तरते उस भीड़ में अपने मालिक को ढूंढता रहता। उसने अपनी उम्मीद कभी नहीं खोई और इस तरह उसने 14 वर्षों तक इंतेजार किया। और आखिरकार 9 जून 1958 को फिडो बस स्टॉप के उसी जगह पर इस दुनिया को अलविदा कहा जहाँ वह रोज अपने मालिक का इंतेजार करता था।
4. हचिको ( Hachiko ), 9 वर्ष तक रेलवे स्टेशन पर अपने मालिक का इंतेजार किया।
हचिको और फिडो की कहानी कुच्छ हद तक मिलती - जुलती है। हचिको हर दिन सुबह अपने मालिक को शिबुआ रेलवे - स्टेशन पर छोड़ने आता था और शाम को उन्हें वापस लेने आता था। एक दिन हचिको के मालिक की मृत्यु उनके ऑफिस में हो गयी। उस दिन हचिको अपने मालिक को लेने स्टेशन गया , पर वे नहीं आये। हचिको अपने मालिक का इंतेजार करना जारी रखा, उसने अपने घर भी नहीं लौटा। उसने ऐसा 9 वर्ष 9 महीने 15 दिनों तक जारी रखा। वह उस ट्रेन का इंतेजार करता रहता जिससे उसके मालिक उतरा करते थे। स्टेशन के श्रमिकों और यात्रियो द्वारा हचिको को कुच्छ न कुच्छ खाने को दे दिया जाता था। वह एक ही स्थान पर लगातार 9 वर्षो से ज्यादा दिनों तक इंतेजार करता रहा और आखिरकार 8 मार्च 1935 को इस पूरी दुनिया को अलविदा कर गया।
5. " टॉमी " हर दिन चर्च जाता रहा जहाँ उसके मालिक का अंतिम संस्कार आयोजित किया गया था।
टॉमी इटली के " सांता मरिया असुन्य " चर्च में हर दिन जाता था, जहाँ उसके मालिक ' मार्गरिटा लोची ' का अंतिम संस्कार आयोजित किया गया था। मार्गरिटा के निधन हो जाने के बाद टॉमी उसके ताबूत के पीछा करते हुए चर्च में आ गया था। तब से टॉमी नियमित रूप से चर्च में जाना जारी रखा। वह चुपचाप आता और एक ओर बैठ जाता। एक बीमारी से जूझने के बाद , टॉमी का 20 जनवरी 2014 को निधन हो गया।
6. 23 दिनों तक " तलेरो " अपने मालिक के मृत शरीर की रक्षा किया।
अर्जेंटीना में एक बर्फीली तूफान के चपेट में आने से तलेरो के मालिक का निधन हो गया। तलेरो ने जंगली जानवरों से अपने मालिक के मृत शरीर को बचाने के लिए उनके पास ही रहा। वह अपने मालिक को गर्म रखने के लिए उसके पास सोया, शायद उसका मालिक ठीक हो जाये। जब पुलिस 23 दिनों बाद उन्हें ढूंढते हुए उस इलाके में आए तो सबको अपनी ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए तलेरो ने जोर जोर से भौकने लगा। जिससे पुलिस को उसके मालिक को ढूंढने में आसानी हुयी।
7. " बॉबी द वंडर्स डॉग " ने अपने परिवार के घर वापस जाने के लिए 4,105 किलोमीटर की यात्रा किया।
1923 में, बॉबी इंडियाना की सड़कों से अपने मालिक से अलग होकर भटक गया। अपने प्रिय कुत्ते को खो जाने के बाद उन्होंने व्यापक खोजबीन की मगर वह नहीं मिला। अंत में वे दुःख और निराशा के साथ अपने घर ऑरेगॉन लौट आये।
6 महीने बाद बॉबी उन्हें अपने घर के दरवाजे पे खड़ा मिला, लंबे समय तक चलने से वह काफी दुबला और कठोर हो गया था। इंडियाना से ऑरेगॉन तक की दुरी 4,105 किलोमीटर है, बिच में पड़ने वाले पहाड़ों , रेगिस्तान और मैदानों के सभी भौतिक बाधायों को पार करते हुए वह 6 महीने बाद अपने घर लौटा । वह प्रत्येक दिन लगभग 23 किलोमीटर की यात्रा की।
6 महीने बाद बॉबी उन्हें अपने घर के दरवाजे पे खड़ा मिला, लंबे समय तक चलने से वह काफी दुबला और कठोर हो गया था। इंडियाना से ऑरेगॉन तक की दुरी 4,105 किलोमीटर है, बिच में पड़ने वाले पहाड़ों , रेगिस्तान और मैदानों के सभी भौतिक बाधायों को पार करते हुए वह 6 महीने बाद अपने घर लौटा । वह प्रत्येक दिन लगभग 23 किलोमीटर की यात्रा की।
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