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Monday 22 May 2017

द्वितीय विश्वयुद्ध के 8 अविश्वनीय हैरान कर देने वाली घटनाये, जो रोमांचित कहानियों जैसी है।

द्वितीय विश्वयुद्ध दुनिया का सबसे भयानक युद्ध था, इस युद्ध मे 6 करोड़ से भी ज्यादा लोग मारे गए थे। 1940 के जनसंख्या के अनुसार इस युद्ध मे 3% लोग मारे गये थे। जब द्वितीय विश्व युद्ध में लड़ाकू विमानों और जहाजों को अपने दुश्मनों द्वारा मार गिरा दिया गया, तो इसका हमेशा मतलब यह नहीं था कि उसमे से प्रत्येक व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी। कभी-कभी, कुछ लोग बच गए लेकिन खुद को दुश्मन की रेखाओं के बीच मे फंसे हुए पाया। उस समय कोई भी उनके लिए खोज नहीं कर रहा था, उन्हें अपने दम पर ही घर वापस आने को मजबूर किया गया था। कुछ लोगों ने ये यात्राएं अविश्वसनीय अनुभवों के माध्यम से चलीं और वे वापस जिंदा लौट कर अपने घर को गये।
1. एक लाइफबोट पर पांच अमेरिकियों ने एक तूफान के साथ समुद्र पार की।
Image: Imperial War Museums

एक जापानी पोत पर युद्ध के एक कैदी केल्विन ग्रैफे, चावल पका रहा था तभी उसने अन्य कैदियों की चिल्लाने की आवाज सुनी। अमेरिकी जहाजों ने उन्हें ढूंढ लिया था, लेकिन ये उन्हें बचाने नही आया था। अमेरिकी जहाजों ने जापानी जहाज पर टॉर्पेडो से हमला कर दिया और जापानी जहाज को केल्विन और युद्ध के अन्य कैदियों के साथ नष्ट कर दिया। लेकीन केल्विन ग्रैफे अभी भी जहाज के मलबे के बीच जिंदा फसा हुया था, जल्द ही, चार और अमेरिकन जो बच गए थे उन्हें लाइफबोट मिल गई मलबे के बीच। उन्होंने अपनी नाव के एक हिस्सों को तोड़कर एक पतवार बनाया। फिर वे पश्चिम की ओर चीन के लीये रवाना हो गयें। उनकी यात्रा में भयंकर तूफान भी मिले और समुद्र में 480 किलोमीटर तक उन्होंने सफर तय किया। अंत में, चीनी मछुआरों ने अपनी नौका पर लेकर उन्हें किनारे पर लाया, भोजन कराया, कपड़े दिए और उन्हें घर भेज दिया।
2. 1,000 जापानी सैनिकों को मगरमच्छों से भरी 16 किमी दलदल को पार करना।
Image: In January 1945, Japanese soldiers ramree cross

जनवरी 1945 में, ब्रिटिश सैनिकों के तेज हमलों के कारण जापानी सैनिकों के एक दल को रामी द्वीप से पीछे हटने को मजबूर कर दिया था। दलदल के माध्यम से 1,000 जापानी सैनिक भाग रहे थें, उन्होंने सोचा ये सुरक्षित रास्ता है। लेकिन यह दलदल 16 किलोमीटर तक मगरमच्छों से भरी हुई थी, जिसमे से कुछ मगरमच्छ 900 किलो जितनी वजनी और बड़े थे। घायल सैनिकों के खून ने मगरमच्छों को अपनी ओर आकर्षित किया, इसके बाद वे एक-एक कर इनपर हमला करने लगे। दलदल में वे कब कहाँ से उभर कर हमला कर देते सैनिको को मालूम ही नही चलता। इस तरह से मगरमच्छों ने एक-एक करके सैनिको को पानी मे खींचना जारी रखा। अंत मे 1,000 सैनिको में से 400 सैनिक ही जिंदा बचकर इस दलदल से निकल पायें।
3. एक सोवियत पायलट के द्वारा नाजी फाइटर विमान को चोरी करके घर जाना।
Image: Soviet Pilot Stole A Nazi Fighter Plane And Flew Home

जब सोवियत लेफ्टिनेंट कुज़नेत्सोव को एक जर्मन पायलट ने विमान पर गोली मार दी तो उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया और खुले मैदान में जा गिरा। लेफ्टिनेंट जल्दी से विमान से उतर कर दूर जा भागें और पीछे उनके विमान मे आग लगकर विस्फोट हो गया। लेफ्टिनेंट पास के झाड़ी मे जाकर छुप गए, उधर जर्मन पायलट यह देखने को उत्सुक होकर अपना विमान नीचे उतारा की लेफ्टिनेंट मरा की नही। जैसे ही पायलट अपना विमान नीचे उतारा और अपने विमान से बाहर आकर मलबे की तरफ देखने गया, कुजनेत्सोव अपने छिपने के स्थान से बाहर आयें और जर्मन के विमान में घुस गए। इसके बाद वें जर्मन एयरस्पेस को चकमा देते हुये सुरक्षित अपने घर लौट गयें।
4. चेहरे पर गोली लगने बावजूद एक जापानी लड़ाकू उड़ान भरा घर के लीये।
Image: In 1942, Saburo Sakai

1942 में जापान की सबसे बड़ी उड़ान में एक 'सेबरो सकाई' ने की थी जिसे दुश्मन बमवर्षक द्वारा घेर लिया गया था। बॉम्बर ने गोलियों के साथ सकाई के विमान को ढंक दिया, जिनमें से एक गोली सकाई के चेहरे पर जा लगा। सकाई अपनी दाहिनी आंखों में दृष्टि खो बैठे थे और अपने शरीर की बाईं तरफ हिलाने-डुलाने में असमर्थ थे। सकाई इतना कुछ होने के बावजूद भी एक नायक की तरह इससे बाहर निकले और चार घंटों मे 1050 किलोमीटर (650 मील) की दूरी तय किये इस दौरान उनका आधे से अधिक शरीर पंगु हो गया था। लेकिन उन्होंने अपना रास्ता घर की तरफ ही रखा।
5. एक सोवियत पायलट, 18 दिनों तक जंगल मे रहा।
Image: Alexsei Maresyev

जब जर्मन लोगों द्वारा 'एलेक्सी मार्सयेव' के विमान को गोली मार दी गई, तो वे जर्मन नियंत्रण वाले इलाकों में फंस गयें। उनके कई घावों से खून बह रहा था और जल्दी से अपने पैरों का इस्तेमाल को भी खो रहे थे। लेकिन वे जीवित रहने के लिए दृढ़ थे। मार्सयेव जंगल के माध्यम से बढ़ते हुये धीरे-धीरे दुश्मन की रेखाओं से पार और सोवियत क्षेत्र में वापस आने का अपना रास्ता बना रहा थें। उनके पैरों को इतनी बुरी तरह घायल किया गया था कि वे अंततः खड़े होने की क्षमता को भी खो दिये। इन पैरों से अपने शरीर को जमीन पर खींचने मे 18 दिन लगे, जो बेहद कष्टदायी था। जब वे वापस अपने लोगों को मिले तो उनकी इतनी बुरी तरह से हालत खराब थी कि उनका पैर को काटना पड़ा था। कृत्रिम पैर के साथ फिट होने के बाद, मारेसेव वापस अपने विमान में गये और वापस लड़ाई लड़ी। बाद में उन्होंने संवाददाताओं को कहा, "मैंने जो कुछ किया है उसमें कोई असाधारण नहीं है"। "तथ्य यह है कि मै एक किंवदंती बन गया है जो मुझे परेशान करता है।"
6. नरभक्षी से भरे जंगल में एक विमान का दुर्घटनाग्रस्त होना।
Image: survivors of the cannibals

मई 1945 में, न्यू गिनी के ऊपर उड़ान भरने वाला एक विमान एक जंगल में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। पायलट बादलों के बीच नहीं देख सका, इसलिए गलती से एक पर्वत के किनारे चला गया और दुर्घनाग्रस्त हो गया। उसकी इस गलती ने 19 लोगों को मार डाला और 260 किलोमीटर पीछे में फंसे कुछ बचे हुये लोगों को छोड़ दिया। इस जंगल में रहने वाले एक जनजाति अब भी पाषाण युग प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते थे, और अफवाह यह थी कि वे नरभक्षक थे। कुछ दिनों बाद, विमान क्रैश मे बचे लोग इन्ही जनजातियों से जा मिलें। बचे हुये लोग डरे हुए थे, लेकिन उनके पास भगवान से अच्छी कामना और अच्छी आशा के अलावा कोई विकल्प नहीं था। सबसे आश्चर्य की बात यह थी कि इस जनजाति के लोग सिर्फ मुस्कुराते थे और उन्हें खिलाने और उन्हें बचाने में मदद करते थे।
इस बीच, अमेरिकी पैराट्रूओपर्स ने बचाव अभियान चलाया। खो गए दल को ग्लाइडर्स पर पाया गया और उन्हें घने जंगलों से बाहर निकाला गया।
7. एक चीनी मल्लाह, शार्क का खून पी कर 133 दिन सागर में जीवित रह।
Image: Poon Lim

पून लिम एक ब्रिटिश जहाज पर एक प्रबंधक था जो सुरिनाम से यात्रा कर रहा था, जब जर्मन जहाज ने टॉरपीडो के साथ जहाज पर हमला किया तो लिम ने एक लाइफ जैकेट पकड़ा और जहाज़ में विस्फोट होने से कुछ सेकंड पहले कूद गए। वह इस घटना का एकमात्र उत्तरजीवी था।
लीम मलबे में एक बेड़ा पर चढ़ गया और फिर अकेले एक अंजान यात्रा पर निकल गया। बेड़े पर राशन खत्म हो जाने के बाद, लिम पानी और भोजन के लिए इतना बेताब हो गया कि उसे शार्क भी खाने के लीये अपनी ओर आकर्षित लगने लगा। आखिरकार उसने बिस्किट के टिन के डब्बे से एक चाकू बनाया और उससे एक चिड़िया को मारा। उसने उस चिड़िया का इस्तेमाल करके शार्क को अपने बेड़े में फंसाया, इसके बाद उसने इससे अपनी भूख और प्यास मिटाई। लिम को कई अमेरिकी और जर्मन जहाजों द्वारा देखा गया लेकिन हर एक ने इसे अनदेखा कर दिया था अंत में, वह ब्राजील के मछुआरों ने समुद्र तट पर 133 दिनों के बाद उसे किनारे पर लाया था।
8. कैदियों को एक सोवियत शिविर से भाग जाना और 6,400 किलोमीटर तक चलकर भारत आना।
Image: slavomir trek

स्लावोमीर रॉविस ने युद्ध के कैदी के रूप में साइबेरिया में दो साल बिताए। फिर, शिविर कमांडेंट की पत्नी की सहायता से, वे और छह अन्य कैदी भागने मे सफल हो गए। लेकिन सुरक्षा के लिए उनकी यह यात्रा आसान नहीं थी। वे लोग बर्फ़ीला तूफ़ान में फंस गए थे और साइबेरियाई आर्कटिक के माध्यम से इन्हें जाना पड़ रहा था, जिससे इन्हें पकड़े या खोजे जाने का भी डर था। वे साइबेरियाई आर्कटिक से होकर अपनी सुरक्षा के लीये भारत की तरफ जा रहें थे। इनकी असाधारण यात्रा में गोबी डेजर्ट और फिर हिमालय के रास्ते यात्रा करनी पड़ी। अंत में, उन्होंने 6,400 किलोमीटर की यात्रा की और इस सफर मे इन्होंने तीन लोगों को खो दिया। दुनिया के सख्त वातावरण मे सफर करके सिर्फ चार लोग ही जिंदा बच पायें।

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