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Friday 16 June 2017

जानिये 1540 ई० से लेकर 2017 तक रुपयों का बदले जाने का रोमांचक सफर

अगर भारतीय धार्मिक ग्रंथों के अनुसार देखा जाए तो भारत में मुद्राओं का अस्तित्व लगभग पांच हजार से दस हजार वर्ष पहले का है, लेकिन पुरातात्विक प्रमाण तौर पर रुपया का इतिहास 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व से ही है। प्राचीन भारत दुनिया में सिक्कों के सबसे पहले जारीकर्ता थे चीनी वेन और लिडियन स्टेटर्स के साथ। 'रुपया' शब्द संस्कृत शब्द 'रप्याकम' से लिया गया है, जिसका शब्दिक अर्थ होता है चांदी का सिक्का। 1540-45 में शेर शाह सूरी द्वारा जारी चांदी के सिक्कों को पहला रुपया कहा जाता है। जिसे आज के भारतीय रिजर्व बैंक आरबीआई अधिनियम 1934 के अंतर्गत मुद्रा का मुकाबला करता है। वैसे तो रुपयो का बदले जाने का सफर बेहद ही रोमांचक रहा है, अगर प्राचीन सिक्को की बात की जाय तो वो एक अलग ही दौर था, इसलिए यहाँ मध्ययुग से आधुनिक भारतीये रुपयो का सफर 1540 ई० से लेकर 2017 तक का दर्शाएं गयें हैं।
Image: 1538-45, शेर शाह सूरी द्वारा जारी चांदी का यह सिक्का मुगल काल, मराठा युग और ब्रिटिश भारत के दौरान उपयोग में थें।
Image: बैंक ऑफ हिंदुस्तान (1770-1832), बंगाल के जनरल बैंक और बिहार (1773-75) और बंगाल बैंक (1784- 9 1) द्वारा जारी किए गए सबसे पहले कागजी रुपए।

Image: 1 अप्रैल 1935, भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना की गई है। जनवरी 1938, रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 5 रुपये का पहला नोट।

Image: फरवरी-जून 1938, 10 रुपये, 100 रुपये, 1,000 रुपये और 10,000 रुपये जारी किए गए।

Image: अगस्त 1940, 1 रुपये का नोट फिर से शुरू किया गया, 1 रुपये पहले 30 नवंबर 1917 को शुरू किया गया था, इसके बाद 2 और 8 रुपये का भुगतान किया गया था और 1 जनवरी 1926 को इसे बंद कर दिया गया था।

Image: मार्च 1943, 2 रुपये की शुरुआत

Image: 1950, स्वतंत्रता के बाद पहली बार 1 पाई, 1.2, 1 अन्ना और 2 अन्ना, 1.4, 1.2 और 1 मूल्यवर्ग में जारी किये गये सिक्के।

Image: 1953, हिंदी को नए नोटों पर प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया था, और रूपया 1954 की बहुवचन रुपए होने का निर्णय लिया गया था।

Image: 1954 मे 1000 रुपये, 5000 रुपये और 10,000 रुपये के बड़े नोटों को पुनः शुरू किया गया।

Image: 1957 मे रुपये का दशमलव और 100 नये पैसे में विभाजित किया गया।

Image: 1957-1967, एल्युमिनियम के एक, दो, तीन, पांच और दस पैसे के सिक्कों की शुरुआत की गई।

Image: 1967, शुरुआती साठ के दशक मे मंदी के कारण नोटों के आकार में कमी आई।

Image: 1980, विज्ञान और तकनीक (2 रुपये नोट पर आर्यभट्ट), प्रगति (1 रुपये पर तेल रिग और 5 रुपये के खेत मशीनीकरण) और भारतीय कला रूपों के 20 रुपये और 10 रुपये (कोनर्क व्हील, मोर) के प्रतीक के साथ जारी हुये नए नोट।

Image: अक्टूबर 1987 मे क्रय शक्ति में बढ़ती अर्थव्यवस्था और गिरावट के कारण 500 रुपये का नोट पेश किया गया।

Image: 1988 मे 10, 25 और 50 पैसे के स्टेनलेस स्टील के सिक्कों की शुरुआत की गई।

Image: 1992 मे स्टेनलेस स्टील में 1 और 5 रुपये के सिक्के पेश किए गए।

Image: 1996 मे जारी की गई नोटों की महात्मा गांधी श्रृंखला, 10 और 500 रुपये से शुरू की गई। इस श्रृंखला ने शेर की बड़ी श्रृंखला के सभी नोटों को बदल दिया है। एक बदलते वॉटरमार्क, विंडोड सुरक्षा धागा, अस्पष्ट छवि और नेत्रहीन विकलांगों के लिए इंटैग्लिओ सुविधाएँ नई विशेषताएं थीं।

Image: 2005-8, नया 50 पैसे, 1 रुपये, 2 रुपये और 5 रुपये के स्टेनलेस स्टील के सिक्कों की शुरुआत की गई।
 2009 मे 5 नोटों (जो पहले बंद कर दिया था) की छपाई की शुरुआत फिर से शुरू हुई। जुलाई 2010 मे नया प्रतीक 'रु' (₹)आधिकारिक तौर पर अपनाया गया है। 2011 मे 25 पैसे सिक्का और सभी पैसों के सिक्कों को डायमेटिव किया गया। नए रुपए के प्रतीक के साथ 50 पैसे के सिक्कों की नई श्रृंखला और रुपये 1, 2 रुपये, 5 और 10 नोट्स की शुरुआत की गई।
Image: 2012 मे 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 500 रुपये और 1000 रुपये के मूल्यों में महात्मा गांधी श्रृंखला के नोटों में नया 'रुपये' चिह्न शामिल किया गया है।

Image: नवम्बर 2016 मे 500 और 1,000 रुपये के नोट बंद किए गए और 500 रुपये और 2,000 नोट्स की शुरुआत की गई।

1545 के बाद शेर शाह सूरी के जारी किये गए सिक्कों के बाद और राजाओं ने भी अपने राज्य में सिक्के जारी किये। भारत मे अंग्रेजों के आने के बाद सिक्कों और नोटों में बदलाव के कई दौर देखें गयें जिनका जिक्र नही किया है। भारत मे जो ज्यादा प्रचलन में रहे उन्ही के बारे मे यहाँ जिक्र किये गये हैं।

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