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Wednesday 28 June 2017

विदेशियों ने भारत के खजाने को लूट कर कंगाल बना दिया

Image: Ancient war in india

भारतवर्ष कभी दुनियां का सबसे अमीर देश था, यहां इतने धन-संपदा और ज्ञान विज्ञान थे कि इसे सोने की चिड़िया भी कहा जाता था। सोने की चिड़िया कहे जाने के साथ ही भारत विश्व गुरु भी था। लेकिन प्राचीन इतिहास में भारत पर अनेकों बार विदेशियों ने आक्रमण किया और यहां के अनमोल खजाने और ज्ञान संपदा को लूटकर ले गए साथ ही नष्ट कर दिए। मौर्य काल के समय पूरा भारत देश एकजुट था, पाकिस्तान के साथ आज के अफगानिस्तान भी भारत की सीमा में ही आता था। लेकिन जैसे ही मौर्य समाज का पतन हुआ पूरा भारतवर्ष बिखर गया। विदेशी आक्रमणकारी तो पहले से ही सोने की चिड़िया पर निगाहें जमाए बैठे हुए थे। मौर्य समाज के पतन के बाद शुरू हुआ लुटेरों का भारत पर हमला। ये विदेशी लुटेरे भारत से हाथी-घोड़ों और ऊँटो पर भर भर कर लूटे हुए सोना, चांदी और हीरे लेकर गए। यह लूट का सिलसिला हजारों वर्षों तक चलता रहा। भारत पर तो अनेकों लुटेरों ने आक्रमण किया लेकिन यहां उन लुटेरों का जिक्र है जो सबसे बड़े लुटेरे थे, जिन्होंने भारत को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाया।
  • मोहम्मद बिन कासिम
Image: Muhammad bin qasim

भारत पर पहला अरब आक्रमण 636 ई० मे खलीफा उमर के द्वारा किया गया था। लेकिन शुरुआत में अरब से लूट करने वालों को बार-बार भारत से पराजय का सामना करना पड़ा। तब एक और अरब लुटेरा मोहम्मद बिन कासिम ने कई युद्धों को हारने के बाद 711 ई० मे राजा दाहिर को हराने में सफल रहा और अरबों के लिए भारत का मार्ग खोल दिया। इसके बाद अरबी लगातार भारत आते रहे और यहां पर जी भर कर लूट मचाई। बाद में मेवाड़ के महाप्रतापी राजपुताना राजा बप्पा रावल ने अरबों के साथ भयंकर युद्ध किया उन्होंने न सिर्फ अफगानिस्तान को अरबो से आजाद कराया बल्कि अरब के अंदर घुसकर अरबों का नरसंहार किया। इस युद्ध में उनका साथ गुर्जर शासक भी दे रहे थे। इन्होंने अरबों के मन में इतना खौफ डाला कि वे लंबे समय तक भारत से दूर रहें।
  • महमूद ग़ज़नवी
Image: Mohammad ghaznavi

अरबों के बाद तुर्कों ने भारत पर आक्रमण किया, अल्पत गिन नामक एक तुर्क सरदार ने गजनी अफगानिस्तान मे तुर्क साम्राज्य की स्थापना की। इसी वंश के एक और शासक महमूद ग़ज़नवी ने भारत के अन्य हिस्सों पर आक्रमण करना शुरु कर दिया। उसने भारत पर 1001 ई० से लेकर 1027 ई० के बीच 17 बार आक्रमण किया। महमूद ग़ज़नवी ने 16वां आक्रमण 1026 ई० मे सोमनाथ पर किया, उसने वहां के प्रसिद्ध मंदिरों को तोड़ा और वहां से अपार धन-संपदा प्राप्त की।
  • मोहम्मद गौरी
Image: Mohammad Gauri

तुर्कों का दूसरा आक्रमण भारत मे मोहम्मद गौरी ने सन 1182 में किया था। उसने पेशावर सियालकोट पर कब्जा कर लिया था, लेकिन 1191 ई० में तराइन के युद्ध में पृथ्वीराज चौहान से बुरी तरह से हार गया। इस युद्ध में गौरी को बंदी बना लिया गया, उसने पृथ्वीराज चौहान का पैर पकड़कर के जीवन का भीख मांगा और पृथ्वीराज चौहान ने दया दिखाकर उसे छोड़ दिया। पृथ्वीराज का यह एक बहुत बड़ी गलती थी। क्योंकि एक साल बाद मोहम्मद गौरी ने बहुत बड़ी ताकत के साथ पृथ्वीराज चौहान पर आक्रमण कर दिया और धोखे से पृथ्वीराज को हराकर बंदी बना लिया। उसने पृथ्वीराज चौहान को बहुत सी यातनाएं दी, जिंदा ही पृथ्वीराज की आंखें निकलवा कर कैद रखा। एक बार गौरी, पृथ्वीराज को बेइज्जत करने के लिए सभा भुलाया और तीर धनुष से निशाना लगाने को बोला, गौरी सोच रहा था कि अंधे के साथ थोड़ा खेला जाये। लेकिन पृथ्वीराज चौहान अंधे होने के बावजूद भी भरी सभा में मोहम्मद गौरी को एक तीर ही से काम तमाम कर दिये।
  • चंगेज खान
Image: Changez khan

भारत पर सबसे बड़ा हमला चंगेज खान ने 12वीं शताब्दी में किया। चंगेज खान मूलतः मंगोल का था, जो अपनी बर्बरता के लिए प्रसिद्ध था। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि चंगेज खान हिंदू था और वह गणेश का उपासक था। उसके समाधि पर त्रिशूल का लगा चेन हिंदू होने का प्रमाण भी देता है। यह अपने समय का सबसे क्रूर और बर्बर लुटेरा था, इसने पूरे बगदाद को लूट कर लाखों मुसलमानों का क़त्ल किया। चंगेज ने अपने आक्रमणों से तुर्क, इरान, इराक, अफगानिस्तान, वर्मा, दक्षिणी रूस और भारत के कश्मीर में बड़ी आबादी का सफाया कर दिया था। चंगेज खान का वंशज हलाकू खान भी बहुत बर्बर और क्रूर था।
  • तैमूर लंग
Image: Taimur lang

तैमूर लंग बचपन से ही भारत की समृद्धि और संपदा के बारे में सुनता रहा था। इसी वजह से उसने भारत को लूटने का फैसला लिया, इसने 1399 में भारत पर आक्रमण किया और दिल्ली में प्रवेश किया, उसने सबसे ज्यादा यही पर लूट मचाई। तैमूर के लूट से दिल्ली एक खंडहर में तब्दील हो गया था। तैमूर के आक्रमण के समय दिल्ली पर तुगलक वंश का शासन था जो कि इसने समाप्त कर दिया था। तैमूर, दिल्ली को लूटने के बाद कश्मीर को लूटते हुए समरकंद वापस चला गया था। हालांकि तैमूर से सामना हिंदू और मुसलमानों दोनों ने मिलकर यह कसम खाई थी की वे या तो युद्ध क्षेत्र में ही मारे जाएंगे या उसे मार कर ही वापस लौटेंगे।
  • बाबर
Image: Babur

बाबर एक विदेशी लुटेरा था, उसने उत्तर भारत मे कई लूटों को अंजाम दिया। उस समय दिल्ली का शासक इब्राहिम लोदी हुआ करते थे, जिनके साथ बाबर की जबरदस्त लड़ाई हुई थी। लेकिन बाबर के जीवन का सबसे खौफनाक लड़ाई मेवाड़ के राजा राणा सांगा के साथ हुआ था। बाबर ने न सिर्फ भारत पर लूटपाट की बल्कि जबरदस्त विध्वंश भी मचाया और उसके विध्वंस का सबसे ज्यादा शिकार यहां के धार्मिक मंदिर, सांस्कृतिक धरोहरों और विश्वविद्यालय हुये। उसके द्वारा नष्ट किए गए कई ऐतिहासिक चीजें आज भी खंडहर बने हुए हैं। हालांकि वह यहां से कुछ लेकर नहीं गया, लेकिन उसने बहुत सी ऐतिहासिक चीजों को नष्ट कर दिया था।
  • नादिर शाह
Image: Nadir shah

औरंगजेब के बाद मुगल साम्राज्य कमजोर हो गया था, इस बात का फायदा उठाकर इरान के शासक नादिर शाह ने भारत पर कई आक्रमण किए और यहां के संपत्ति को लूटा। नादिरशाह के आक्रमण के समय दिल्ली कि राजगद्दी पर मुगल बादशाह मोहम्मद शाह का शासन था। यह और मुगल वंश की तरह ताकतवर नहीं था बल्कि अय्याशी के लिए बहुत प्रसिद्ध था। नादिर शाह ने मोहम्मद शाह को करनाल के युद्ध में हराकर के दिल्ली के राजगद्दी को छीन लिया। उसने दिल्ली में कई जगह पर लूट मार मचाई। उसने दिल्ली के लाल किला को भी लूटा और उसी ने भारत के प्रसिद्ध कोहिनूर हीरे को भी लूटकर ईरान ले गया, बाद मे वही कोहिनूर हीरा अंग्रेजों के पास पहुच गया।
  • ईस्ट इंडिया कंपनी
Image: British East India Company

हजारों साल की लूटपाट के बाद भी भारत एक संपन्न देश था, लेकिन अंग्रेजों ने भारत को बिल्कुल ही कंगाल बना दिया। अंग्रेजों के आने के पहले पूरे विश्व में भारत का व्यापार की हिस्सेदारी 23 प्रतिशत था, जबकि ब्रिटेन का भाग 1.5% था। लेकिन ईस्ट इंडिया कंपनी को आने के बाद 1947 तक भारत सबसे गरीब देश बन गया और यह व्यापारिक औसत उल्टा हो गया, जिसके कारण भारत को सबसे गरीब देशों में गिना जाने लगा। 1600 ई० मे ईस्ट इंडिया कंपनी व्यापार के बहाने भारत मे आया था। लेकिन उनका मकसद व्यापार करना नहीं बल्कि लूटना था। और उनका यह मकसद तब पूरा हुआ जब उन्होंने 1757 मे प्लासी के युद्ध मे बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को हराकर बंगाल पर कब्जा कर लिया। 1792 में अंग्रेजों ने टीपू सुल्तान को भी हराकर दक्षिण भारत में अपनी पकड़ मजबूत कर ली। 1819 में मराठों को हराने के बाद कंपनी ने देश के बड़े हिस्सों को कब्जा लिया था। कंपनी के इन्हीं गलत नीतियों के कारण 1857 में पहला स्वतंत्रता संग्राम हुआ लेकिन उन्होंने इसे छल से कुचल दिया। फिर भारत को 1947 में ईस्ट इंडिया कंपनी से पूरी तरह से छुटकारा मिला, जब इन्हें पूरे देश मे एक साथ विरोध का सामना करना पड़ा। लेकिन तब तक भारत को इन्होंने इतना कंगाल बना दिया कि यह सबसे गरीब देशों में गिना जाने लगा।

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