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Friday 1 September 2017

विश्व के अबतक 7 सबसे खतरनाक और बड़े हथियार

इस दुनिया में हर चीज को पा लेने की चाहत में इंसानो को हर क्षेत्र में कुछ नया पा लेने के लिए प्रेरित किया है। विज्ञान और प्रौधौगिकी में जिस तरह से आज दुनिया आगे बढ़ रही है ऐसा लगता है कि आने वाले समय में हर मुश्किल चीज को पाना बेहद आसान हो जाएगा। ऐसा ही एक क्षेत्र है युद्ध का जहां हथियारों का नई नई तकनीक का उपयोग किया जाता है। आज सभी देश शक्तिशाली हथियार किसी न किसी गुपचुप तरीके से बनाने में लगे हुये हैं। आज ऐसे ही 7 बेहद खतरनाक और शक्तिशाली हथियारों का वर्णन यहां किए जा रहे हैं।
  • स्च्वेरेर गुस्तव (Schwerer Gustav)

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इस हथियार को जर्मनी द्वारा दूसरे विश्वयुद्ध में इस्तेमाल किया गया था। यह एक रेलवे गन थी जिसके लिए एक खास मिलिट्री का बंदोबस्त किया जाता था। इसका कैलिबर लगभग 80 सेंटीमीटर का था जो कि दुनिया के किसी भी गन से सबसे ज्यादा बड़ी थी। कैलिबर का मतलब होता है बन्दुक की नाल का व्यास जिनमें से गोली निकलती है। यह 155 फीट लंबी और 38 फीट ऊंची थी और इस का वजन लगभग 1350 टन के आसपास था। इस में इस्तेमाल होने वाली गोली का खोल ही लगभग 7 टन का था जो कि अब तक का सबसे ज्यादा वजनी था। इसकी मारक क्षमता 29 मिनट तक थी। इसे जर्मनी क्रप इंडस्ट्री द्वारा 1930 में बनाया गया था और 1945 के युद्ध के बाद इसे तबाह कर दिया गया था।
  • ट्रानिस (Taranis)

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इसे बनाने में लगभग 336 मिलियन डॉलर खर्च पड़े हैं। यह अभी तक मैदान पर अपनी शुरुआत नहीं की है। इसकी रफ्तार बेहद ही तेज है और इसे किसी भी रडार द्वारा नहीं पकड़ा जा सकता है। इसे यूके मे बनाया गया है और इसे जमीन से रिमोट कंट्रोल के द्वारा भी उड़ाया जा सकता है। यह विमान लक्ष्य को चिन्हित करना, जानकारी इकट्ठा करना, शत्रुओं को पकड़ना और किसी भी क्षेत्र में हमला करने के लिए सक्षम है।
  • एविएशन थेरमोबारिक बम ऑफ़ इनक्रीसड पावर (Aviation Thermobaric Bomb of Increased Power)

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इस बम का निर्माण 2007 मैं रशियन द्वारा किया गया था और इसे फादर ऑफ आल बम के नाम से भी जाना जाता है। अगर न्यूक्लियर हथियार को हटा दिया जाए तो यह दुनिया का सबसे ताकतवर बम है। इसके फटने के बाद 600 मीटर व्यास तक अपना गहरा असर दिखाता है। इसके फटने से पहले एक सुपरसोनिक वेब पैदा होती है और इसके बाद आसपास के वातावरण में लगभग 3000 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान पहुंच जाता है। रूस ने इसका सफल परीक्षण करने के बाद लगभग 100 से भी ज्यादा बमों का निर्माण कर चुका है।
  • निमत्ज़ क्लास एयरक्राफ्ट कौरियर (Nimitz Class Aircraft Carrier)

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यह एयरक्राफ्ट कैरियर यूएस नेवी के रीढ़ माना जाता है। इसका निर्माण 1975 में शुरू कर दिया गया था। इसे न्युक्लियर रिएक्टर के मदद से चलाया जाता है, जिससे इसे 25 सालों तक दोबारा इंधन की जरुरत नहीं पड़ती। यह दुनिया का आज तक की सबसे बड़ी युद्ध का जहाज है। यह अपने साथ एक बार मे 5000 सैनिकों को कहीं भी ले जा सकती है। इस जहाज पर एक ही आकार के 85 लड़ाकू विमानों को रखा जा सकता है और इन्हें 20 सेकंड के अंतर पर लगातार उड़ान भरने के लिए तैयार भी किया जा सकता है। इस पर बनाया गया रनवे 1100 फिट लंबा है और इसका वजन एक लाख टन है। यह 56 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है और इसे बनाने का खर्चा लगभग 4.5 सौ करोड़ डॉलर लगा था। यूएस नेवी के पास ऐसी 10 शिप हैं। इतना ही नहीं यह अपनी रक्षा के लिए बेहद उन्नत मिसाइलों से भी लैस है और लगभग 3 महीनों तक इस पर सवार सैनिकों के लिए खाने पीने का प्रबंध रहता है।
  • द इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (The Intercontinental missile)

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यह रसियन R36 ICBM है जिसकी लंबाई लगभग 106 फीट है और इसकी रेंज 12 से 16 हजार मिल तक है। यह मिसाइल बेहद ही घातक है, क्योंकि यह अपने साथ न्युक्लियर हथियार को ले जा सकती है। यह अपने साथ लगभग अलग-अलग 17 विस्फोटकों को ले जा सकती है। और अगर यह अपने लक्ष्य से कुछ भी दूर फटे तो भी इतनी उर्जा पैदा होती है कि वह लक्ष्य को नष्ट कर देता है। भविष्य में रसिया इस मिसाइल को अतरिक्ष में भी इस्तेमाल करने वाला है। कहां जा रहा है कि इस मिसाइल का इस्तेमाल भविष्य में छोटे- बड़े उल्कापिंडों पर किया जाएगा जो धरती से टकराने वाले होंगे।
  • लॉकहीड ऐसी-130 स्पेक्टर गनशिप (Lockheed AC-130 Spectre Gunship)

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इस शक्तिशाली हथियार का एकमात्र उपयोगकर्ता संयुक्त राज्य की वायु सेना है, जिसका उपयोग विशेष रूप से वायु समर्थन भूमिकाओं में किया जाता है। बीते समय में इसका युद्ध और जीवन रक्षा वाले मिशनों में उपयोग किया गया है। यह एयरक्राफ्ट परिष्कृत नेविगेशन, सेंसर और फायर कंट्रोल सिस्टम जैसे भारी हथियारों से लैस है। यह एक ही समय में दो लक्ष्यों पर भी हमला कर सकता है और खराब मौसम में भी इससे गोलाबारी किए जा सकते हैं।
  • तसार बोम्बा (Tsar Bomba)

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यह 27 टन का केवल हाइड्रोजन बंद था जो आज तक एक ही बनाया गया था। इसका जब परीक्षण किया गया तो इसके दुष्परिणाम को देखकर इसे और न बनाने का फैसला लिया गया। लेकिन आज कुछ देश इस बम को फिर से बना चुके हैं। इसका निर्माण 4 वैज्ञानिकों ने मिलकर 1961 मे लगभग तीन से चार महीनों में किया था। और 30 अक्टूबर 1961 मे नोवैया ज़ेमलिया आईलैंड पर इसका सफल परीक्षण किया गया था। इसे विमान से नीचे गिर गया और जमीन से लगभग 2 मील ऊपर ही विस्फोट कर दिया गया था। इसके फटने के बाद एक भयंकर आग का गोला बना जो 40 मिल तक ऊँचा उठा और 2 मिल तक फैला। इसके विस्फोट के कारण लगभग 560 मील दूर फिनलैंड और नार्वे में शीशे की खिड़कियां टूट गई थी। द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान में गिराए गए परमाणु बम से 38 सौ गुना ज्यादा ताकतवर था। जिस समय ईस बम का परीक्षण किया गया था माना जाता है यह बम का आधी ताकत थी और इसके पूरे ताकत का इस्तेमाल अभी तक नहीं किया गया है।

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